दरअसल, नोएडा के समाजसेवी रंजन तोमर द्वारा 2018 में लगाई गई एक आरटीआई से बड़ा खुलासा हुआ था कि पिछले दस वर्षों में 102 एक सींघ वाले गैंडों का शिकार देश भर में हुआ था। इसके बाद काज़ीरंगा राष्ट्रिय उद्यान में 100 से ज़्यादा वन रेंजरों की भर्ती भी की गई। जिससे इनके शिकार पर लगाम लग सके। उसी कड़ी में 2018 के बाद की स्तिथि को जानने के लिए रंजन तोमर ने वन्यजीव अपराध नियन्त्र ब्यूरो में एक आरटीआई लगाई थी। जिसमें पिछले दो वर्षों में इन गैंडों के शिकार सम्बन्धी जानकारी मांगी गई थी। इसके जवाब में ब्यूरो कहता है कि इस दौरान 32 गैंडों को मौत के घात उतार दिया गया । इसके साथ ही पिछले दो वर्षों में 69 शिकारियों को भी इस जुर्म में पकड़ा गया है।
रंजन बताते हैं कि भारतीय गैंडा या एक सींघ वाला गैंडा पूर्वोत्तर भारत के असम और नेपाल की तराई के कुछ संरक्षित इलाकों में पाया जाता है। जहाँ इसकी संख्या हिमालय की तलहटी में नदियों वाले वन्यक्षेत्रों तक सीमित है। इतिहास में भारतीय गैंडा भारतीय उपमहाद्वीप के सम्पूर्ण उत्तरी इलाके में पाया जाता था। जिसे सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते हैं। यह सिन्धु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के मैदानी क्षेत्रों में, पाकिस्तान से लेकर भारतीय-बर्मा सरहद तक पाया जाता था और इसके आवासीय क्षेत्र में नेपाल, आज का बांग्लादेश और भूटान भी शामिल थे। अपने अन्य आवासीय क्षेत्रों में भी यह तेज़ी से घटे और बीसवीं सदी की शुरुआत में यह विलुप्तता की कगार में खड़ा है।