रंजन तोमर ने बताया कि इस वर्ष अब तक 11 हाथियों का शिकार किया गया है। जिनमें सबसे पहले फरवरी में उत्तर प्रदेश में एक हाथी का शिकार किया गया। उसी दिन गोवा में भी एक हाथी को मार दिया गया। यानि कि लॉकडाउन से पहले तीन माह में 2 हाथियों का शिकार हुआ। वहीं लॉकडाउन घोषित होने के बाद मार्च से अब तक 9 हाथियों को जान से मार दिया गया है।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सबसे ज़्यादा 4 हाथी ओडिशा में मारे गए। जिनमें से तीन तो आठ दिन के अंतराल में ही शिकार किये गए। इसके बाद छत्तीसगढ़ में 3 हाथियों का शिकार किया गया। जिनमें से 2 को तो एक ही दिन 9 जून 2020 को मार दिया गया और एक को दो दिन बाद 11 जून को मौत के घाट उतार दिया गया। देश भर को झकझोर देने वाले केरल में हथिनी 27 मई को मुंह में वविस्फोटक रख बड़ी क्रूरता से हत्या कर दी गई। वहीं एक हाथी का शिकार मेघालय में 12 जून को किया गया।
क्यों बढ़ा शिकार जवाब दे सरकार तोमर ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान शिकार क्यों बढ़ा, इस बात का जवाब सभी राज्य सरकारों को देना होगा। कहीं न कहीं सरकारों द्वारा ढील बरती गई या फिर फॉरेस्ट अफसरों की कमी या कोरोना के डर से गश्त आदि की कमी से भी यह हो सकता है। यह बेहद दुखद है एवं सभी राज्यों को इस बाबत कार्रवाई करनी चाहिए। चिंताजनक यह भी है के देश के चारों दिशाओं के राज्यों में यह घटनाएं हुई हैं।
बाकी वर्षों के औसतन कम हुआ है शिकार उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष लगाई गई आरटीआई से यह जानकारी आई थी के प्रत्येक वर्ष औसतन 43 हाथियों की हत्या कर दी जाती थी, लेकिन इस वर्ष वन विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 11 हाथियों की हत्या हुई है। जो कि पिछले वर्षों के औसतन कम है।