कब है Radha Ashtami पंडित रामप्रवेश तिवारी का कहना है कि भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन को राध जी के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने पर ही जन्माष्टमी का व्रत पूरा होता है। बरसाना में समारोह होता है। राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु वहां के गहवर वन की परिक्रमा करते हैं।
ऐसे करें पूजा पंडित रामप्रवेश तिवारी के अनुसार, इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्म करने के पश्चात स्नान करें और स्वच्छ धुले हुए वस्त्र पहनें। सुबह पूजा घर की अचछ से सफाई करें और राधा जी की मूर्ति का पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उनको नए वस्त्र पहनाएं और श्रंगार करें। राधा जी की सोने या किसी अन्य धातु से बनी हुई मूर्ति को विग्रह में स्थापित किया जाता है। इसके बाद राधा जी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर धूप, दीप, फल, फूल आदि चढाने चाहिए। इस दिन व्रत रखने से खास फल मिलता है।
यह है कथा कहा जाता है कि वृषभानु गोप की पुत्री का नाम राधा था। जब राजा यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे तब भूमि कन्या के रूप में उन्हें राधाजी मिली थी। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि राधा जी लक्ष्मी जी का अवतार है।
यह है महत्व पंडित रामप्रवेश तिवारी ने बताया कि राधाष्टमी की कथा सुनने से सुख, धन और धान्य का आगमन होता है। राधा जी के मंत्र के जाप से मोक्ष मिला है।