पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए हो रहा है बदलाव साइबर ठगी के बढ़ते मामले को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने ऑनलाइन पेमेंट के तरीकों में 1 जनवरी से बदलाव करने जा रही है। यह फैसला आरबीआई ने लोगों को बेहतर सुरक्षा और ऑनलाइन भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए लिया है। आरबीआई ने सभी व्यापारियों और भुगतान गेटवे को संवेदनशील ग्राहक विवरण, डेबिट और क्रेडिट कार्ड जो उनके अंत में सहेजे गए हैं, उनको हटाने के लिए कहा है।
एचडीएफसी बैंक ने ग्राहकों को कराया अवगत भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि मर्चेंट और पेमेंट गेटवे को अपने सर्वर पर स्टोर की गई सभी जानकारियों को डिलीट करना होगा। सभी बैंकों ने अपने ग्राहकों को होने वाले इस बदलाव के बारे में बताना शुरू कर दिया है। एचडीएफसी बैंक ने अपने ग्राहकों को मैसेज के जरिए इस संबंध में अवगत कराया है।
बता दें कि, वर्तमान में ऑनलाइन पेमेंट के लिए कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपायरी डेट, सीवीवी और ओटीपी (कुछ मामलों में पिन भी) के सही होने पर ही भुगतान होता है। नए नियम के अनुसार टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर को एक वैकल्पिक कोड के साथ बदलने को संदर्भित करता है, जिसे टोकन कहा जाता है।
क्या नया नियम सुरक्षित है? भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि टोकनयुक्त कार्ड ऑनलाइन पेमेंट के लिए सुरक्षित माना जाता है क्योंकि पेमेंट के दौरान वास्तविक कार्ड विवरण व्यापारी के साथ साझा नहीं किया जाता है। आगामी जनवरी महीने के बाद से जब आप किसी मर्चेंट को पहला भुगतान करते हैं, तो आपको प्रमाणीकरण के एक अतिरिक्त कारक (AFA) के साथ उसे अपनी सहमति देनी होगी। एक बार हो जाने के बाद, आप अपने कार्ड के सीवीवी और ओटीपी को दर्ज करके भुगतान को पूरा करेंगे।