गैंगरेप के बाद में महिला को जिंदा जलाने का मामला, पुलिस वालों के खिलाफ हुई यह कार्रवाई सवाल यह है कि सुरक्षा के बावजूद भी जेल में आसानी के साथ हथियार पहुंच गया। यहां तक की सुरक्षाकर्मी तैनात होने के बाद भी जेल में आने वाले सामान व कैदियों की जांच में लापरवाही बरती जाती है। साथ ही जेल में तैनात पर सुरक्षाकर्मियों पर भी मिलीभगत होने की बात सामने आई है। दरअसल में शराब को लेकर भी सवाल खड़े हुए है। तीन लेयर की सुरक्षा वाली जेब में शराब और हथियार का पहुंचना जेल प्रशासन पर सवाल उठा रहा है। आरोप है कि सुनील राठी के राज के चलते ऐशोआराम की सभी चीजें जेल में आसानी के मौजूद हो जाती थी।
शासन ने उठाया कड़ा कदम जेलों में बरती गई लापरवाही के खिलाफ शासन ने कड़ा रुख अपनाया था। इस मामले में जेलर, डिप्टी जेलर समेत 5 को संस्पेड कर दिया था। उधर कुख्यात सुनील राठी को भी फतेहगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया है। दरअसल में बागपत जेल में सुनील राठी के एकछत्र राज चलाने का मामला सामने आया था। दरअसल में 9 जुलाई को बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या का पहला मामला नहीं है। पहले भी जेल में हत्या हो चुकी हैं। जेलों में होने वाली हत्याओं के खिलाफ, जेल प्रशासन से लेकर पुलिस अफसरों की लापरवाही भी सामने आ चुकी है। शासन की तरफ से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी होती रही है, लेकिन नजीता शून्य हीं निकलता है।
मुन्ना के इन करीबियों की हो चुकी है जेल में हत्या जेल में बंद कैदियों की पहले भी हत्या हो चुकी है। 2005 में वाराणसी की जेल में बंद मुन्ना बजरंगी के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बंशीलाल यादव की हत्या के आरोप मेंं अनुराग त्रिपाठी वाराणसी जेल में बंद था। इसके खिलाफ हत्या की अधिकतर मुकदमे वाराणसी में दर्ज थे। यह सिलसिला यहीं नही थमा। 2010 में उरई जेल में कैदियों के बीच बमबाजी हो गई थी। इस बमबाजी में गाजीपुर निवासी प्रिंस समेत 2 की हत्या हुई थी। यह भी मुन्ना बजरंगी का खास रहा था। और यह मुख्तार अंसारी का भी खास था। प्रिंस अहमद भी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुन्ना और मुख्तार अंसारी के साथ में नामदर्ज था।