सपा नेता रामगोपाल यादव के सामने ये हो सकते हैं शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चा से प्रत्याशी
इसके अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा भी एक बार फिर से जोरों पर है। इसको भी 2019 के लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मंथन चल रहा है। इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में उन जिलों पर ध्यान देने का प्रयास किया जा रहा है, जहां भाजपा को बड़ी जीत मिली थी और सरकार गठन के समय उन्हें मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया था।भारत बंद में शामिल नहीं हुए ये दिग्गज नेता, राजनीतिक सरगर्मियां तेज
इन्हीं उम्मीदों के बीच पश्चिमी उप्र के भाजपा विधायक लखनऊ से दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं ताकि उनकी मंत्रिमंडल में जगह पक्की हो सके। इन विधायकों में सोमेन्द्र तोमर, ठाकुर संगीत सोम, सत्यवीर त्यागी के अलावा गौतमबुद्धनगर जिले से जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह और दादरी विधायक तेजपाल नागर में से किसी एक विधायक को मंत्री बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है। वर्तमान में योगी सरकार में कुल 44 मंत्री हैं। जिनमें 22 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 13 राज्यमंत्री हैं। नियम के मुताबिक योगी के मंत्रीपरिषद में मंत्रियों की कुल अधिकतम संख्या 60 हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक इस बार मंत्रीमंडल विस्तार में जातीय समीकरणों पर भी बारीकी से ध्यान दिया जा रहा है। इसी के तहत अब तक प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल में गुर्जर समाज के किसी विधायक को जगह न मिलने के कारण अप्रैल में एमएलसी बनाए गए अशोक कटारिया का नाम चर्चा में है। वह गुर्जर बिरादरी से हैं और बिजनौर जिले के रहने वाले हैं। इसके अलावा वह भाजपा के प्रदेश महामंत्री होने के साथ ही युवा मोर्चा कानपुर और काशी क्षेत्र के प्रभारी भी हैं। वहीं मेरठ से लगातार दो बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के नाम को लेकर भी चर्चा है। वाजपेयी भाजपा के पुराने और कद्दावर नेता माने जाते हैं। गत विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था तभी से उनका समायोजन लंबित है। लक्ष्मीकांत वाजपेयी अभी किसी सदन के सदस्य नहीं है।
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में अच्छी सफलता मिली थी। जिनमें बुलंदशहर की सभी सातों, गाजियाबाद की सभी पांच, हापुड़ की तीन में से दो सीट, सहारनपुर में सात में से चार, शामली में तीन में से दो, मुजफ्फरनगर की सभी छह, गौतमबुद्ध नगर की सभी तीन, मेरठ की सात में से छह और बागपत में चौधरी अजीत सिंह का गढ़ होने के बावजूद तीन में से दो सीटें भाजपा के खाते में आईं थीं। इतनी बड़ी जीत के बावजूद केवल गाजियाबाद के विधायक अतुल गर्ग को ही मंत्री बनाया गया था। इनके अलावा सहारनपुर की नकुड़ सीट से इमरान मसूद को हराकर विधायक बने धर्म सिंह सैनी और थानाभवन से सुरेश राणा को ही जगह मिल पाई थी। मेरठ और आसपास के जिलों में कैबिनेट में केवल चेतन चौहान को जगह मिली थी।