इस दौरान आखिरी दर्शन के लिए भारी जन सैलाब उमड़ा। जिसके चलते दिल्ली से लेकर गाजियाबाद तक पूरी तरह जाम भी लगा रहा। इस बीच आज हम आपको जैन मुनि से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे।
1. बता दें कि बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे दिगंबर को मानने वाले
jain muni tarun sagar ji maharaj का असली नाम पवन कुमार जैन हुआ करता था। इनका जन्म मध्य प्रदेश के दमोह जिले में हुआ था।
2. बताया जाता है कि इन्होंने 14 साल की उम्र में ही घर-बार छोड़ दिया था और 8 मार्च 1981 को सन्यास जीवन में आ गए थे। इनके प्रवचनों को खूब सुना जाता है और इन्हें ‘क्रांतिकारी संत’ का तमगा भी मिला हुआ है।
3. मध्य प्रदेश शासन द्वारा 6 फरवरी 2002 को इन्हें ‘राजकीय अतिथि’ का दर्जा दिया गया। वहीं इसके बाद गुजरात सरकार ने भी 2 मार्च 2003 को इन्हें ‘राजकीय अतिथि’ के सम्मान से नवाजा था।
4. ‘तरुण सागर’ ने ‘कड़वे प्रवचन’ के नाम से अपनी एक बुक सीरीज शुरू की थी, इसी के लिए वह काफी चर्चित रहते हैं और उनके प्रवचनों को कड़वे प्रवचन इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सामान्य जीवन से संबंधित चीजों के बारे में जो बोलते थे वह बहुत कड़वे होते थे।
5. तरुण सागर मुनि के गुरु पुष्पदंत सागर ने 20 जुलाई 1988 को राजस्थान के बागीडोरा में 20 वर्ष की
6. उम्र में इन्हें दिगंबर मोंक की उपाधि दे दी थी।
7. इन्हें आरएसएस ने अपने एक कार्यक्रम में बुलाया था। जहां इन्होंने चमड़े की बेल्ट को पोशाक से हटाने का सुझाव दिया था। इसके बाद आरएसएस की पोशाक से चमड़े की बेल्ट हटा दी गई।
8. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्हें मिठाई में सबसे ज्यादा जलेबी पसंद है। वहीं पीएम मोदी ने 29 जुलाई 2012 को गुजरात मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें तरुण क्रांति पुरस्कार से सम्मानित किया था।