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नोएडा

इस वजह से दंपतियों को नहीं हो रही संतान, यह है बचने का उपाय

नोएडा के सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में इस समस्या से जूझ रहे मरीजों की संख्या में हुई है बढ़ोतरी

नोएडाJun 18, 2018 / 11:39 am

sharad asthana

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इस वजह से दंपतियों को नहीं हो रही संतान, यह है बचने का उपाय

नोएडा। बीते कुछ दिन से नोएडा समेत पूरा दिल्‍ली-एनसीआर धूल की चादर में लिपटा हुआ था। सोमवार को इससे कुछ राहत मिली। हालांकि, अब भी प्रदूषण की स्थिति खराब है। डॉक्‍टरों ने इस कारण से लोगों को आगाह किया है। प्रदूषण के कारण अस्‍थमा व सांस के मरीजों को काफी दिक्‍कतें हो रही हैं। वहीं इससे एक और बड़ी दिक्‍कत भी हो रही है, जिससे बचने के लिए डॉक्‍टर सुझाव दे रहे हैं। डॉक्‍टरों का कहना है कि इस समस्‍या के कारण उनकी जिंदगी खराब हो सकती है।
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प्रदूषण का असर

बीते तीन-चार दिन से एनसीआर पर धूल की परत छाई हुई थी। इससे प्रदूषण का स्‍तर भी काफी ऊपर पहुंच गया था। इसका सीधा असर लोगों के जीवन पर पड़ रहा है। डॉक्‍टरों ने बताया कि इस प्रदूषण के कारण शहर के कई दंपतियों की संतान नहीं हो पा रही हैं। नोएडा के सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में इस समस्या से जूझ रहे मरीजों की संख्या में मई के मुकाबले जून में काफी बढ़ोतरी हुई है। अस्‍पताल में मई में इस समस्‍या से जूझ रहे 16 लोग आए थे। वहीं जून में इन मरीजों की संख्‍या बढ़कर करीब दोगुनी हो गई। इसके अलावा अन्‍य क्‍लीनिकों में रोजाना इस तरह के मरीज आ रहे हैं। जांच में चौंकाने वाली बात निकलकर सामने आई है।
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गर्भपात का खतरा भी बढ़ रहा

इस बारे में सीएमओ डॉ. अनुराग भार्गव का कहना है कि पीएम-2.5 और पीएम-10 जैसे कण सांस के जरिए हमारे फेंफड़ों में जाते हैं। इससे कॉपर, जिंक, लेड जैसे घातक तत्व भी शरीर में चले जाते हैं। काफी समय तक जब हम ऐसी हवा के संपर्क में रहते हैं तो स्पर्म सेल के उत्पादन में कमी आने लगती है। इससे गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है।
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यह कहना है विशेषज्ञों का

वहीं, इन विट्रो फर्टीलाइजेशन (आईवीएफ) विशेषज्ञ डॉ. अरविंद जैन का कहना है कि उनके पास आए मरीजों में पाया गया कि कई लोगों में जरूरी शुक्राणु ही नहीं बने। स्‍पर्म काउंट में कमी आने की वजह से गर्भपात का खतरा भी बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण यह समस्‍या ज्‍यादा आ रही है। उनका कहना है कि शुक्राणुओं के एक जगह जमा हो जाने से वे फेलोपाइन ट्यूब में भी सही तरीके से नहीं जा पाते हैं। इससे कई बार गर्भधारण नहीं हो पाता है। एक अन्‍य डॉक्‍टर शुभदीप ने कहा कि लगातार तीन माह तक प्रदूषित जगह में रहने पर स्‍पर्म पर घातक असर पड़ता है। उनका कहना है कि वातावरण में जब भी सल्‍फर डायऑक्‍साइड की मात्रा बढ़ती है तो स्‍पर्म काउंट में 12 फभ्‍सदी तक कमी हो जाती है।
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बचने के उपाय

सीएमओ डॉ. अनुराग भार्गव के अनुसार, इसका असर कम करने के लिए एंटीऑक्सिडेंट युक्‍त भोजन का सेवन ज्‍यादा करें जैसे स्ट्रॉबेरी, नींबू, नट्स, अंडा, मछली, ब्राउन राइस और बीन्स आदि। ये शुक्राणुओं को स्‍वस्‍थ बनाए रखने में सहायक होते हैं।

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