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जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट: किसानों की सहमति के बिना जमीन लेगी योगी सरकार

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण में जरूरी नहीं किसानों की सहमति।

नोएडाAug 12, 2018 / 08:35 pm

Rahul Chauhan

नोएडा। जेवर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए भूस्वामियों की सहमति जरूरी नहीं है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) की इस राय से निदेशक भूमि अध्याप्ति ने भी सहमति जताई है। अब इस प्रकरण में न्याय विभाग से राय लेकर गौतमबुद्धनगर के डीएम को कार्यवाही के निर्देश दिए जाएंगे। दरअसल जेवर हवाई अड्डे के निर्माण के लिए आस-पास के गांव की 1441 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के लिए चिह्नित की गई है। भूमि अर्जन से पहले मुआवजे के निर्धारण एवं पुनर्वास के लिए सामाजिक प्रभाव के आंकलन (सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट) कराया जा रहा है।
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विशेषज्ञ समूह की राय के बाद यह रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शासन से अनुमोदन के बाद सेक्शन-11 के तहत प्रारंभिक अधिसूचना जारी होगी। एयरपोर्ट निर्माण की नोडल एजेंसी यीडा ने 6 अगस्त को शासन स्तर पर प्रजेंटेशन देकर साफ किया था कि जब सरकार लोक प्रयोजन के लिए भूमि अधिगृहीत करती है तो सहमति की जरूरत नहीं होती है। आपको बता दें कि क्षेत्र के किसान अपनी जमीन के चार गुने मुआवजे की सरकार से मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार दो गुना मुआवजा देने के लिए तैयार है।
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अभी पिछले सप्ताह ही ग्रेटर नोएडा पहुंचकर सीएम योगी ने किसानों से मिलकर उनको जमीन देने के लिए राजी करने की कोशिश की थी। लेकिन किसानों ने चार गुने से कम मुआवजे पर जमीन देने से इनकार कर दिया था। तब सीएम योगी ने किसानों से कहा था कि अगर आप लोग जमीन नहीं देंगे तो एयरपोर्ट हरियाणा के सिरसा जिले में शिफ्ट कर दिया जाएगा। वहीं खबरों के मुताबिक दूसरी ओर अब सरकार किसानों की सहमति के बिना जमीन लेने की तैयारी में है।
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भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यस्थापन में उचित प्रतिकर एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा-2(1) में इसका प्रावधान है। भूमि का अधिग्रहण नागरिक उड्डयन विभाग करेगा और स्वामित्व राज्य सरकार का होगा। इस तरह भूमि का नियंत्रण राज्य सरकार की ओर से स्वयं अथवा अपने अधीन किसी अभिकरण, उपक्रम या एजेंसी के पास रहेगा। विशेष सचिव नागरिक उड्डयन सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि जेवर एयरपोर्ट का निर्माण लोक परिवहन की श्रेणी में आता है।
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लोक प्रयोजन के तहत इस एयरपोर्ट को राज्य सरकार के स्वयं के उपयोग व नियंत्रण में मानते हुए भू-स्वामियों की सहमति से मुक्त रखा जाना उचित होगा। पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन में यीडा की राय से निदेशक भूमि अध्याप्ति ने भी सहमति प्रकट की है। शासन स्तर पर निर्णय हुआ है कि इस प्रकरण को न्याय विभाग को भेजकर राय ले ली जाए। न्याय विभाग की राय के बाद ही गौतमबुद्धनगर के डीएम को अगली कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जाएगा।

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