दरअसल, पांच जून को इलाज के अभाव में खोड़ा निवासी आठ माह की गर्भवती महिला नीलम की मौत हो गई थी। जिसे परिजन आठ अस्पतालों में लेकर गए थे लेकिन कहीं पर उसे इलाज नहीं मिल सका था। परिजनों का आरोप है कि वह नोएडा के ईएसआइसी, शिवालिक, फोर्टिस, जेपी व जिला अस्पताल, ग्रेटर नोएडा के जिम्स व शारदा अस्पताल एवं गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल में चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी भी अस्पताल ने गर्भवती का उपचार नहीं किया। अस्पताल के गेट से ही उनको टरकाते रहे और इलाज के अभाव में महिला की मौत हो गई थी। इस मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी जो रिपोर्ट दी थी उसके अनुसार ईएसआइसी अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा होने के बावजूद गर्भवती महिला नीलम को वहां से जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था जबकि उसे चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सकती थी।
सरकारी अस्पतालों के अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है, जबकि निजी अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के आदेश दिए गए हैं, जिन्होंने उस महिला को इलाज से इनकार करने के लिए बेड उपलब्ध नहीं होने का बहाना बनाया था। इस मामले में दो दिन पहले ही नोएडा जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया था और मामले के संबंध में एक नर्स और एक वार्ड ब्वॉय के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।