पर्यावरण प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) प्राधिकरण ने कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्रवाई योजना (ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान) लागू किया जाना है। इसके तहत 15 अक्टूबर से दिल्ली और उसके आसपास के सभी इलाकों में कड़े कदम उठाए जाएंगे। गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा समेत दिल्ली एनसीआर के सभी शहरों की सीमा में आवश्यक और आपात सेवाओं को छोड़कर अन्य किसी भी कार्य में डीजल जेनरेटर का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। औद्योगिक इकाइयों, हाउसिंग सोसायटी, सेक्टरों, कमर्शियल कंपलेक्स और तमाम दूसरे स्थानों पर डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक रहेगी।
व्यापारियों में रोष ईपीसीए के आदेश के मुताबिक एनसीआर के शहरों में केवल सीएनजी और पीएनजी संचालित जनरेटर को ही छूट दी जाएगी। वहीं इस फैसले के बाद नोएडा के व्यापारियों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। व्यापारियों की मानें तो ईपीसीए को इतना बड़ा फैसला लेने से पहले एनसीआर के व्यापारियों और नोएडा एंटरप्रेन्योर एसोसिएशन के साथ मीटिंग करनी चाहिए थी। जिसमें कोई निर्णय निकाला जाता। इस मामले पर नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मलहन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। जिसमें इस आदेश का विरोध किया गया है। विपिन मलहन का कहना है कि डीजल से संचालित जनरेटर को पीएनजी में कन्वर्ट करने में काफी रुपए खर्च होंगे। जो हर उद्योग के लिए संभव नहीं है।
बिजली आपूर्ति की मांग नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन में सह कोषाध्यक्ष नीरू शर्मा के मुताबिक अगर डीजल जनरेटर पर पूर्ण रोक लगेगी तो बहुत से उद्योग प्रभावित होंगे। वह अपनी पूरी कैपेसिटी के काम नहीं कर सकेंगे। हालांकि अगर सरकार बिजली आपूर्ति में सुधार करे तो कुछ राहत जरूर मिल सकती है। जिससे जनरेटर का इस्तेमाल ही ना करना पड़े। इसके अलावा सीएनजी पीएनजी के कनेक्शन भी उद्योगों को मुफ्त में दिए जाने चाहिए। जिससे व्यापारियों को नुकसान ना हो और अगर व्यापारियों को नुकसान होता भी है तो उसकी भरपाई सरकार द्वारा की जानी चाहिए।