हर घर का होगा अपना डिजिटल कोड देश के हर गांव-शहर के हर घर का एक डिजिटल कोड होगा और सिर्फ क्यूआर कोड को स्कैन करके भी काम हो जाएगा। संभावना यह भी है कि यह डिजिटल कोड पिन कोड की जगह ले सकता है। जब आप कोई फॉर्म भरते हैं तो, आपको अपने परिचय के साथ अपना पूरा एड्रेस लिखना होता है। तब आप गली, मोहल्ला, लैंडमार्क, गांव, शहर, राज्य, पिन कोड वगैरह सब कुछ लिखते हैं।
डाक विभाग कर रहा डिजिटल एड्रेस कोड पर काम आपको बता दें कि डाक विभाग ने इस दिशा में कदम उठाया है। इसके अनुसार, हर मकान के लिए डिजिटल एड्रेस कोड होगा। डाक विभाग का लक्ष्य इन सभी के लिए 12 डिजिट की यूनीक आईडी तैयार करना है। डाक विभाग ने इस बारे में आम जनता और स्टेकहोल्डर्स से सुझाव आमंत्रित किए थे, सुझाव भेजने की समय सीमा 20 नवंबर थी।
बार-बार एड्रेस का प्रमाण नहीं देना होगा इस व्यवस्था के लागू होने से हर घर का ऑनलाइन एड्रेस वेरिफिकेशन हो सकेगा। हर मकान का एक अलग कोड होगा। जैसे कि अगर एक बिल्डिंग में 50 फ्लैट हैं तो हर फ्लैट का एक यूनीक कोड होगा। वहीं एक मंजिल पर दो परिवार रहते हैं तो उनका भी अलग-अलग कोड होगा। अब कोई भी डाक, ऑनलाइन शॉपिंग, फूड डिलीवरी, कैब, इसी यूनीक कोड के जरिए सीधे आपके दरवाजे तक पहुंचेगा।