बता दें कि जिले में विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े जनप्रतिनिधियों के अलावा जनता भी काफी समय से यह मांग कर रही है कि जिले में नगर निगम का गठन होना चाहिए, जिससे उनकी जलापूर्ति, कचरा निपटान, नियमित साफ-सफाई, विभिन्न लाइसेंसों और प्रमाण पत्रों के वितरण प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके। बैठक में अधिकारियों ने भी माना कि जनता की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऐसी एजेंसी का गठन अब जरूरी हो गया है।
सूत्रों की मानें तो यह बैठक मेरठ मंडल की आयुक्त अनीता मेश्राम ने ली। इसमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। हालांकि, यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के अधिकारी बैठक में शामिल नहीं हुए।
अभी तक जिले में लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे जलापूर्ति, कचरा निपटान और साफ-सफाई, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं और इनसे जुड़ी दूसरी व्यवस्थाओं की पूर्ति नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी मिलकर करती रही हैं। लेकिन लोगों में कई सुविधाओं और जरूरतों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। इसमें जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यू प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र, विभिन्न विषयों से जुड़ी अनुमतिऔर लाइसेंस प्रक्रिया भी शामिल हैं।
सूत्रों की मानें तो मेश्राम ने बैठक में हुई पूरी बातचीत को सकारात्मक परिप्रेक्ष्य में पेश करते हुए एक खाका तैयार किया है और इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही इस बारे में सकारात्मक फैसले ले सकती है। जिले की आबादी पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी है। पिछले महीने जनवरी में राज्य सरकार जिले में बेहतर कानून-व्यवस्था लागू कराने के उद्देश्य से यहां कमिश्रर सिस्टम भी लागू कर चुकी है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री जिले को लेकर दूसरा ऐतिहासिक फैसला भी ले सकते हैं और शायद यही वजह है कि इस बैठक में नगर निगम व्यवस्था लागू करने की संभावनाओं को टटोला जा रहा है।
हालांकि, जिले में नगर निगम और ग्राम पंचायत व्यवस्था को लागू करने के लिए विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधि समय-समय पर अपनी आवाज उठाते रहे हैं। इनमें जेवर से भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह भी शामिल हैं। धीरेंद्र सिंह पिछले महीने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस संबंध में हो रही परेशानियों को बता भी चुके हैं।