युवक को छेड़छाड़ करना पड़ा महंगा, छात्रा ने सरेआम मनचले को इस तरह सिखाया सबक, देखें वीडियो- जेपी अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरो सर्जरी डॉक्टर रोहन सिन्हा ने बताया कि अफगानिस्तान के आरिफ रेजाया हायडेटिड बीमारी से पीड़ित थे। टेपवर्म के कारण उनकी गर्दन और रीढ़ में बहुत ज्यादा संक्रमण हो गया था। इसमें पस भर गया था, जिससे गर्दन में सूजन आ गई थी। जांच में पता चला कि गर्दन से जुड़ी हड्डियों में बहुत ज्यादा संक्रमण हो गया है। पहले तो मरीज का पस निकाला गया। उसके बाद जून 2017 में पहला ऑपरेशन किया गया, जिसमें पहले हड्डी को निकाला गया फिर उसकी जगह कूल्हे की हड्डी का प्रत्यारोपण किया गया। रेजाया का ऑपरेशन मुंह के जरिए किया गया था। ऐसे में मरीज का सांस लेना और खाना खा पाना मुश्किल होता है। दिसंबर 2017 में अफगानिस्तान के रेजाया को फिर से अस्पताल लाया गया तो पता चला कि फिर से पस पड़ गया है। नई हड्डी प्राकृतिक हड्डी के साथ फिर से नहीं मिल पाई है। उसके बाद हड्डी को दोबारा प्रत्यारोपण किया गया। मेडिकल डिवाइस की मदद से सिर और गर्दन को सहारा दिया गया। अब मरीज चल फिर सकता है और दोनों हाथों का इस्तेमाल कर सकता है। इस तरह के अब तक विश्व में पांच सफल केस के बारे में पता चला है।
भीम आर्मी आज दिल्ली में दिखाएगी दलितों का दम, वेस्ट यूपी से हजारों कार्यकर्ता दिल्ली पहुंचे घर में फिर से लौटीं खुशियां बता दें कि आरिफ रेजाया अफगानिस्तान में ड्राइवर हैं। उनके छह बच्चे भी हैं। आरिफ कहते हैं कि इतना लंबा इलाज चला, लेकिन कभी उनकी पत्नी फातिमा और उन्होंने हार नहीं मानी। वे कहते हैं कि भारत में आकर हमारे परिवार को ही एक नई जिंदगी मिली है, जिसकी बदौलत आज घर में फिर से खुशियां लौट आई हैं।