वैसे तो छठ पर्व प्रमुख रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। लेकिन इन दिनों ये देश के कई हिस्सों में मनाई जाती है। पश्चिमी यूपी में भी अब छठ का क्रेज देखने को मिलता है। नोएडा में तो छठ के एक दिन पहले स्टेडियम में बड़ा आयोजन होता है, जिसमें भोजपुरी समाज ( Bhojpuri Samaj ) से कई कालाकार आते हैं और अपनी प्रस्तुती देते हैं। जिसे लेकर पूर्वांचल समीति के लोग तैयारियां करने लगे हैं।
हिंदू धर्म में छठ पूजा एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें उदयाचल सूर्य के अलावा अस्ताचलगामी सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पर्व की शुरूआत नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना होता है। खरना के अगले दिन दिन भर व्रत रहने के बाद शाम को संध्या अर्घ्य देने के लिए लोग घाट नदी, पोखरों पर जाते हैं। संध्या अर्घ्य के अगले दिन सुबह उषा अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पर्व ( Chhath Parva ) दिवाली ( Diwali ) के 6 दिन बाद पड़ता है, लेकिन इसकी शुरूआत भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। छठ व्रत में सूर्य देव के अलावा छठी मइया की पूजा की जाती है। छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है।