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अमित शाह के इस करीबी नेता को राज्यसभा के बाद अब विधान परिषद में भी नहीं मिली एंट्री

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से इन दो नेताओं पर भाजपा ने लगाया दांव

नोएडाApr 15, 2018 / 07:17 pm

Iftekhar

Bjp

नोएडा. भाजपा के दिग्गज नेता और उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को योगी ने एक बार फिर से बड़ा झटका दिया है। माना जाता है कि वाजपेयी पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भी करीबी हैं। इसके बाद भी उन्हें विधान परिषद के लिए जारी उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम शामिल नहीं हैं। पार्टी के इस फैसले से वाजपेयी के समर्थकों में निराशा देखी जा रही है। एमएलसी चुनाव के लिए भाजपा की ओर से घोषित उम्मीदवारों की सूची में खास बात ये है कि भाजपा ने मेरठ से डॉ. सरोजनी अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि उन्होंने हाल ही में सपा छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। गौरतलब है कि इससे पहले राज्य सभा चुनाव के वक्त भी वाजपेयी का नाम सुर्खियों में था, लेकिन उस वक्त भी वाजपेयी को निराशा ही हाथ लगी थी। इसके बाद से ये उम्मीद जताई जा रही थी कि वाजपेयी को पार्टी विधान परिषद भेज सकती है। लेकिन पार्टी के इस फैसले से उनके सपने एक बार फिर चकनाचूर हो गए हैं।

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भजपा ने विधान परिषद चुनावों के लिए अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में भाजपा ने 10 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने ये लिस्ट रविवार को जारी की। इस लिस्ट में बिजनौर से भाजपा के कद्दावर नेता अशोक कटारिया और मेरठ से भाजपा नेत्री सरोजिनी अग्रवाल को भी शामिल किया गया है। इनके अलावा भाजपा ने बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, जयवीर सिंह, विद्या सागर सोनकर, विजय बहादुर पाठक और अशोक धवन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

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उत्तर प्रदेश से खाली हो रही एमएलसी की 13 सीटों के लिए चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीख का एलान कर दिया है। चुनाव आयोग यूपी विधान परिषद की 13 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर चुका है। अधिसूचना के मुताबिक 9 से 16 अप्रैल तक नामांकन होगा और 26 अप्रैल को मतदान होगा। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत 12 एमएलसी 5 मई 2018 को रिटायर होने वाले हैं, जबकि एक सीट पहले से ही खाली है।

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यह है यूपी विधान परिषद चुनाव का गणित
इस वक्त विधानसभा सदस्यों की मौजूदा संख्या 402 हैं। विधानसभा की एक सीट सीट नूरपुर से भाजपा विधायक लोकेन्द्र चौहान की मौत के बाद खाली है। 402 सदस्यों की संख्या के अनुसार विधान परिषद की एक सीट के लिए 29 वोटों की आवश्यकता होगी। इस तरह भाजपा गठबंधन के खाते में 11 सीट जानी तय हैं। इसके बाद भी भाजपा के पास 5 वोट अतिरिक्त बचेंगे। वहीं, बसपा की मदद से सपा भी दो सीट आसानी से निकाल लेगी। अगर कांग्रेस के भी वोट मिला दिए जाएं तो विपक्ष के पास दो सीटें निकालने भर के वोट हैं। लेकिन मौजूदा जोड़-तोड़ की राजनीति में क्या होगा यह कहना मुश्किल है। क्योंकि राज्यसभा चुनाव में भाजपा पूर्ण आंकड़ा नहीं होने के बाद भी भाजपा अपने 9वें प्रत्याशी को भी जिता ले गई थी।

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