साथ ही कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम व मौलाना अंसार रजा ने भी उनके साथ मंच साझा किया था। इस रैली को राष्ट्रीय एकता सम्मेलन नाम दिया गया था। लेकिन मोर्चे में दूसरे दलों के ‘उपेक्षित’ नेताओं के शामिल नहीं होने को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कयास लगाए जा रहे थे कि सपा समेत दूसरे दलों के उपेक्षित नेता इस नई पार्टी को ठिकाना बना सकते हैं, लेकिन एक हफ्ते बाद भी कोई बड़ा चेहरा मोर्चे का हिस्सा नहीं बना है।
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इस सवाल के जवाब में सेक्युलर मोर्चे के वेस्ट यूपी प्रभारी डॉक्टर मरबूग त्यागी का कहना है कि मोर्चे की ताकत का पता चंद दिनों में चल जाएगा। हम खास रणनीति के तहत अभी दूसरे दलों के लोगों को शामिल नहीं कर रहे हैं। जल्द सामूहिक तौर पर नामवर लोगों को जोड़कर मोर्चे का कुनबा बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि मोर्चा 2019 के चुनाव में बड़ी ताकत बनकर उभरेगा। मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में हुए सम्मेलन में जुटी भीड़ जनता के समर्थन का सबूत है। वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव राजपाल सिंह का कहना है कि वेस्ट यूपी की जनता सपा के साथ है।