चाय की पत्ती की बढ़ती मांग को देखते हुए लिहाजा इसमें भी मिलावट की खबरें मीडिया जगत में आती रहती है। यानी कि चायपत्ती की बढ़ती मांग की वजह से मिलावट का व्यापार भी शुरू हो चुका है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो चाय की पत्ती में मिलावट सेहत को अंदर ही अंदर धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है।
फैस्टिवल सीजन में सक्रिय हो जाते हैं मिलावटखोर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के इंस्पेक्टर टी जोजेफ ने बताया कि विभाग सोशल मीडिया पर लोगों को मिलावटी चीजों के बारे में जागरुक करता है। इसके लिए समय-समय पर हर चीज में मिलावट के लिए लोगों को जागरूक करता है। उन्होंने बताया कि इस समय फैस्टिवल सीजन चल रहा है। ऐसे में चाय पत्ती में मिलावट कर बेचने वाले धंधेबाज भी सक्रिय हो जाते हैं जो कि असम की असली चाय के बजाय नकली चाय की पत्ती बेचते हैं। आम लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती। इसलिए उसने मिलावटी चाय पत्ती को पहचानने की ट्रिक बताई जाती है।
लिवर डिसऑर्डर और सेहत से जुड़ी समस्याएं होती हैं पैदा चाय की पत्ती में मिलावट कई तरह से की जा रही है। कई बार मिलावटखोर इसमें पुरानी या उपयोग की हुई चाय की पत्ती को दोबारा सुखा कर पैक कर बाजार में बेच देते हैं। इसके पहले उस चायपत्ती में कलर भी मिलाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। इससे लिवर डिसऑर्डर और सेहत से जुड़ी कई दूसरी समस्याएं चाय की वजह से आते ही लगती हैं।
आसान से टेस्ट से कर सकते हैं मिलावटी की पहचान मिलावटखोर अक्सर असली चाय पत्ती की जगह या इसमें मिलाकर नकली चायपत्ती बेच देते हैं। जोजफ का कहना है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के एक आसान से टेस्ट से चाय पत्ती की क्वालिटी आसानी से चेक की जा सकती है।
ऐसे पता करें असली और नकली चायपत्ती में अंतर सबसे पहले एक फिल्टर पेपर लें और इस पर थोड़ी सी चाय पत्ती रखें। अब इस पर पानी की कुछ बूंदे डालकर इसे गीला कर लें। अब इस फिल्टर पेपर को नल के पानी से धो लें। अब इस फिल्टर पेपर पर लगे दाग को रोशनी में जाकर चेक करें। अगर फिल्टर पेपर पर कोई दाग नहीं है तो ये असली चायपत्ती है। अगर फिल्टर पेपर पर काले-भूरे रंग के गहरे धब्बे पड़ जाते हैं तो इसका मतलब है कि ये चाय पत्ती नकली है।