15 दिनों में हुई चार महिलाओं की मौत नोएडा के सेक्टर 34 में स्थित राजकीय महिला शरणालय एवं बाल गृह मे मानसिक रूप से कमजोर महिलाओं को मजिस्ट्रेट के आदेश पर रखा जाता है। इस महिला शरणालय पिछले 15 दिनों में हुई 4 महिलाओं की मौत के बाद हड़कंप मचा हुआ है। बीते 20 दिसंबर को 50 वर्षीय सुनीता, 23 दिसंबर को 50 वर्षीय आराधना, 30 सितंबर को 25 वर्षीय प्रियंका और 3 जनवरी को 30 वर्षीय रूबी की मौत जिला अस्पताल में हुई है। इसके बाद महिला की सुरक्षा का दावा करने वाले नारी निकेतन के प्रबंधक सवालों के घेरे में है।
कर्मचारियों की है कमी जानकारी के अनुसार इस समय 150 महिलाओं की देखभाल के लिए महज आठ कर्मचारी हैं, जबकि इनकी संख्या 48 होनी चाहिए। स्टाफ की कमी के कारण महिलाओं की सही से देखभाल नहीं हो पाती है। यही कारण है कि आए दिन यहां रहने वाली महिलाएं बीमार हो जाती हैं। इनकी सुरक्षा व्यवस्था और देखरेख के लिए लगभग 72 सीसीटीवी कैमरे लगे हुये है, लेकिन इनमें कई कैमरे खराब है।
जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश जिन चार महिलाओं की मौत हुई है, इसमें से प्रियंका की मौत के बाद हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में मौत कारण हार्ट अटैक बताया गया है। अन्य महिलाओं की पोस्टमार्टम का खुलासा अब तक नहीं किया गया। बीते 15 दिनों में हुई 4 महिलाओं की मौत जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। गौतमबुध नगर के डीएम सुहास एलवाई ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को मौके पर जाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सीजर बीमारी से ग्रसित थी महिलाएं जिला प्रोबेशन अधिकारी अतुल सोनी बे बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह महिलाएं मानसिक रूप से बीमार और सीज़र बीमारी से ग्रसित थी। उन्होंने बताया कि इन महिलाओं को उपचार जिला अस्पताल में डॉक्टर तनुजा गुप्ता द्वारा किया जा रहा था। जिला अस्पताल की नर्स लगातार इनको जरूरी दवाइयां दे रही थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही चलेगा मौत की कारणों का सही पता डॉक्टर ने बताया कि यह महिलाएं मानसिक रूप से बीमार थी महिला के मृत्यु होने के बाद प्रबंधक द्वारा नोएडा के सेक्टर 24 थाने को सूचना दी गई थी। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है, मौत का सही कारण पता नहीं चल सका है। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षों में उक्त संस्था से 60 से अधिक मानसिक रूप से मंदित संवासियों का उपचार एवं कांउन्सिलिंग कराकर मजिस्ट्रेट के माध्यम से उनके परिजनों की सुपुर्दगी में करते हुये पुनर्वासन किया गया है।