प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन यानी शीघ्र सुधारक कार्रवाई के तहत 11 पब्लिक सेक्टर बैंक इस लिस्ट में हैं, उनमें से सात ने अपने एटीएम की संख्या में खासी कमी की है। आरबीआई के डेटा के मुताबिक इनमें सेंट्रल बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, कॉरपोरेशन बैंक और यूको बैंक शामिल हैं। आरबीआई के मुताबिक इन बैंको की वित्तीय हालात सही नहीं चल रही है। जिसकी वजह से इन बैंक ने अपने लागत में कमी करने के लिए तेजी से अपने एटीम की संख्या घटानी शुरू कर दी है। इतना ही नहीं इन बैंको ने तो पिछले एक साल में 1635 एटीएम बंद कर दिए हैं।
लेकिन आरबीआई के एक अन्य आकड़ों पर गौर करें तो पीसीए स्कीम के तहत उसकी निगरानी में आए बैंकों ने पिछले साल 1,635 एटीएम बंद किए थे। लेकिन सरकारी बैंकों के इतने एटीएम बंद होने के बावजूद कैश विडड्रॉल पिछले साल के मुकाबले 2018 में 22% ज्यादा रहा। लेकिन हैरानी के बात ये भी है कि एटीएम की संख्या पिछले साल के 2,07,813 से 107 बढ़कर इस साल 2,07,920 हो गई है, जिससे यह मतलब निकाला जा सकता है कि पीसीए वाले बैंकों ने जो एटीएम बंद किए हैं, उसकी दूसरे बैंकों ने भरपाई कर दी है।
आपको बता दें कि एटीएम की संख्या में सबसे ज्यादा कटौती सितंबर 2015 में पीसीए में आए इंडियन ओवरसीज बैंक ने की है। बैंक ने अपने 15 फीसदी एटीएम बंद कर दिए हैं जिससे उनकी संख्या अप्रैल 2017 के 3500 से घटकर इस साल अप्रैल में 3,000 रह गया। इस क्रम में यूको बैंक और केनरा बैंक दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं जिन्होंने अपने 7.6 फीसदी एटीएम बंद कर दिए हैं।