बता दें कि बच्ची 21 अप्रैल को दिल्ली के गाजीपुर इलाके के घड़ोली से लापता हुई थी। जो 22 अप्रैल की रात अर्थला स्थित मदरसे की पहली मंजिल से मिली थी। वहीं अब स्थानीय पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे थे। जिसके चलते जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई है।
क्या है पूरा मामला बता दें कि बच्ची का परिवार पहले अर्थला के मदरसे के पास रहता था। बच्ची आरोपित किशोर को पहले से ही जानती थी। वहीं 19 अप्रैल को बच्ची का परिवार घड़ोली कॉलोनी में रहने के लिए आया था। जिसके दो दिन बाद बच्ची घर से कुछ सामान लेने के लिए निकली थी और वह लापता हो गई। जब आसपास की सीसीटीवी फुटेज चेक की गई तो उसमें बच्ची को एक लड़के के साथ ऑटो में बैठते देखा गया। जब पुलिस ने इसकी जांच की तो पता चला कि अर्थला की नीलमणि कॉलोनी में रहने वाला 17 वर्षीय किशोर एक लड़की के जरिये इस बच्ची के संपर्क में आया था। बच्ची के पास फोन था और इस दोनों की फोन पर भी बातचीत होती थी। बच्ची के मोबाइल सर्विलांस के जरिये ही दिल्ली व साहिबाबाद पुलिस टीम ने संयुक्त छापेमारी कर बच्ची को अर्थला की नीलमणि कॉलोनी स्थित मदरसे की पहली मंजिल से बरामद किया।
बच्ची के मामा का कहना है कि पुलिस जब मदरसे में पहुंची तो बच्ची चटाई में लिपटी मिली। यहां उसे लकड़ी की कोठरी में बंद किया हुआ था। आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे मौलवी का ही हाथ है, लेकिन पुलिस उसे बचा रही है। चिकित्सकों ने भी कहा है कि बच्ची के साथ तीन-चार लोगों ने दुष्कर्म किया है। फिर भी पुलिस ने सिर्फ एक को पकड़ा है।
काम सामूहिक दुष्कर्म की नहीं पूर्वी परिक्षेत्र के संयुक्त आयुक्त रवींद्र यादव ने बताया कि चिकित्सकीय जांच में बच्ची के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है, लेकिन सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टी नहीं है। वहीं मजिस्ट्रेट के सामने बयान में भी सामूहिक दुष्कर्म की बात सामने नहीं आई है। अब आगे की जांच जो कि अपराध शाखा द्वारा की जा रही है उसमें जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।