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मूवी रिव्यू

दमदार नहीं ‘लव गेम्स’

राइटर-डायरेक्टर : विक्रम भट्टस्टार कास्ट : पत्रलेखा, गौरव अरोड़ा, तारा अलीशा बेरी, हितेन तेजवानीम्यूजिक : संगीत-सिद्धार्थ हल्दीपुर, रेटिंग: 2/5

Apr 10, 2016 / 04:13 pm

सुनील शर्मा

love games movie review

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बॉलीवुड में थ्रिलर फिल्म बनाने वाले प्रोडक्शन हाउसेज में विशेष फिल्म्स का नाम भी शुमार है। इस बैनर ने कई थ्रिलर फिल्मों से दर्शकों का मनोरंजन किया है। इस हफ्ते उनके बैनर की थ्रिलर मूवी ‘लव गेम्स’ रिलीज हुई, जिसका निर्देशन विक्रम भट्ट ने किया है। इस जोनर पर विक्रम की अच्छी पकड़ मानी जाती है, लेकिन ‘लव…’ में वे मात खा गए हैं। तमाम मसालों के बावजूद फिल्म मनोरंजक नहीं है।

डायरेक्शन के साथ राइटिंग के मोर्चे पर भी विक्रम कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। फिल्म की रफ्तार इतनी सुस्त है कि फिल्म देखते-देखते आंख भी लग सकती है। यह फिल्म बड़े शहर की हाई प्रोफाइल सोसायटी की कहानी है, जिसे रोमांस, सेक्स, ड्रग्स, थ्रिलर, धोखा जैसे मसालों को पिरोकर बुना गया है।

इरोटिक थ्रिलर की कहानी रमोना रायचंद (पत्रलेखा) और सैम (गौरव अरोड़ा) के इर्द-गिर्द घूमती है। रमोना के पति की बिल्डिंग से गिरने से मौत हो जाती है। इधर, रमोना और सैम में अच्छी बॉन्डिंग है, लेकिन यह बॉन्डिंग लव वाली नहीं, बल्कि मौज-मस्ती तक सीमित है। एक दिन रमोना, सैम के साथ मिलकर लव गेम्स का प्लान बनाती है, जिसके तहत दोनों पेज थ्री पार्टीज में जाते हैं और कपल्स को फंसाते हैं।

इसी तरह एक पार्टी में सैम की मुलाकात डॉ. अलीशा (तारा अलीशा बेरी) से होती है। जीवन में अधूरापन महसूस करने वाले सैम को तारा से मिलना अच्छा लगता है। लेकिन यह बात रमोना को अखरने लगती है। इसके बाद प्यार के इस खेल में कई टन्र्स और ट्विस्ट आते हैं, जो कहानी को आगे बढ़ाते हैं।

‘सिटीलाइट्स’ में एक बच्चे की मां और ग्रामीण महिला की भूमिका में अपनी शानदार परफार्मेंस से दिल जीतने वाली पत्रलेखा इस फिल्म में एकदम उलट नजर आई हैं। इसमें वे महानगरीय जीवनशैली से प्रभावित रेसी अवतार में हैं। इस ग्लैमरस किरदार में वे कुछ ही हिस्सों में प्रभावित करती हैं। हालांकि उन्होंने काफी लिप-लॉकिंग और लव मेकिंग सीन दिए हैं।

मॉडल से एक्टर बने गौरव की यह डेब्यू फिल्म है, जिसमें उन्होंने अपना किरदार निभाने की कोशिश की है। तारा अपने किरदार में जमी हैं। छोटे-से रोल में हितेन तेजवानी अच्छे लगे हैं। फिल्म का संगीत भी एक कमजोर कड़ी है। मनोज सोनी की सिनेमैटोग्राफी उम्दा है। अगर आप विक्रम भट्ट की फिल्में देखना पसंद करते हैं, तो ही ‘लव गेम्स’ देखने का मन बनाएं, वर्ना कोई बेहतर विकल्प तलाशें।

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