बीरेंद्र शर्मा@भिलाई. बच्चे और खासकर किशोरवय के हाथों में मोबाइल व लैपटाप देने वाले अभिभावक सावधान हो जाएं। बच्चों को ज्ञान बढ़ाने आपकी ओर से दी गई यह सुविधा आपके व आपके बच्चे के लिए बड़ी मुसीबत का कारण भी बन सकती है। समय का तकादा है, आज के दौर में मोबाइल व इंटरनेट बच्चों की जरूरत का अनिवार्य हिस्सा बन गया है, मगर बच्चों के कदम डिगे न इसके लिए हमेशा सतर्क और जागरुक रहनेे की जरूरत अभिभावकों को है। गुरुवार को ग्राम सोमनी में 13 साल के नाबालिग द्वारा चार साल की मासूम बच्ची के साथ अनाचार की घटना अभिभावकों की ऐसी ही लापरवाही का नतीजा कहा जा सकता है।
समाज के लिए चिंता का विषय गिरफ्तार नाबालिग ने पुलिस की पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार करते हुए जो खुलासा किया है वह बच्चों को मोबाइल व इंटरनेट सुविधा देकर बेफिक्र रहने वाले अभिभावकों के लिए आंखे खोलने वाली तो है ही, समाज के लिए भी चिंता का विषय है। नाबालिग ने अपने बयान में बताया कि उसने अपने कुछ हमउम्र दोस्तों के साथ मोबाइल पर अश£ील फिल्म की क्लिपिंग देखी थी।
फिल्म के कुछ दृश्य बार-बार उनके दिमाग में कौंध रहा था और वैसी हरकत करने की इच्छा बढ़ती जा रही थी। तब से वह मौके की तलाश में था। आखिर में गांव की ही चार साल की मासूम से वह सब हरकत कर ही बैठा। अनाचार के आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया जहां से उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया गया।
Read This: 13 साल के नाबालिग ने 4 साल की मासूम के साथ किया छेड़छाड़… सोशल पर्यावरण को सुधारना बहुत जरूरी समाजशास्त्री डॉ. सुचिता शर्मा ने बताया कि आज के दौर में सोशल पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी हो गया है। जिस तरह से आस-पास का परिवेश होगा उस तरह की प्रवृत्ति बच्चों में पनपती है। 15 वर्ष तक माता पिता को बच्चों के हाथ में स्मार्ट फोन नहीं पकड़ाना चाहिए। मोबाइल में आजकल सब कुछ उपलब्ध है। बच्चों को पता नहीं रहता है कि मैं क्या अच्छा कर रहा हूं और क्या बुरा। समाज के लोग मूल्यविहीन होते जा रहे हैं। वे सिर्फ भौतिक सुविधाओं के पीछे भाग रहे हैं। इसे अब गंभीरता से लेने की जरुरत है।
बेशक कहीं न कही संस्कार की कमी है एएसपी शहर शशिमोहन सिंह ने बताया कि यह एक सामाजिक समस्या बन गई है। बेशक कहीं न कहीं बच्चों को अच्छे सहीं संस्कार नहीं मिल पा रहे हैं। समाज में जागरुकता लाने कार्यक्रम चलाया जाएगा। ताकि इस तरह की विकृति न पनपे। पुलिस की रक्षा टीम गांवों में भी जाकर लोगों को जागरुक करेगी। बच्ची अभी अस्पताल में भर्ती है। उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों की दो टीम देखरेख कर रही है। फिलहाल स्वास्थ्य में काफी सुधार है।
Read This: मासूम से रेप के बाद दरिंदों ने बनाया MMS फिर सोशल मीडिया पर किया वायरल… इन बातों का रखें ध्यान अभिभावक किशोरवय (10-15) साल बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें।
रात में घर से बाहर न रहने दें। बिना कारण बाहर न जाने दें।
बच्चे के दोस्तों पर भी नजर होनी चाहिए।
ध्यान रखें कि अपराधी प्रवृत्ति के बच्चों से दोस्ती न हो जाए।
15 वर्ष तक मोबाइल को बच्चों के हाथ न लगने दें।
एक्सपर्ट व्यू- बच्चों में एक्सक्लोर की प्रवृत्ति बढ़ रही है छत्तीसगढ़ मनोचिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर प्रमोद गुप्ता ने बताया कि दस से पंद्रह साल की उम्र में बायोलॉजिकल हार्मोंस बढ़ते हैं तो बच्चों में फिलिंग बढऩे लगती है। यदि बच्चे अपने बड़े दोस्तों के साथ अश£ील फिल्म देख लेते हंै तो उनमें साइकोलॉजिकली प्रभाव पड़ता है। बच्चों में जिज्ञासु की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ऐसे में आज के परिवेश में बच्चों पर निगरानी रखना जरूरी हो गया है। इस तरह की गलती करने के बाद उन्हें आत्मग्लानि होती है पर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
Hindi News / Durg / मोबाइल पर गंदी फिल्म देखकर नाबालिग ने मासूम बच्ची को बनाया हवस का शिकार