गणेश जी की विशाल मूर्ति की स्थापना के साथ ही आयोजकों का पहनावा भी बदल गया है। जींस व टी शर्ट की जगह पारंपरिक परिधान कुर्ता पायजामा ने ले ली है। शहर में गणेश उत्सव का अलग ही रंग है। यहां शाम होते ही लोग घरों से निकलकर पंडाल को देखने निकल रहे हैं। दरअसल अब पंडाल और मूर्ति दोनों ही छोटे नहीं रही हैं। झिलमिलाते बल्ब की जगह एलइडी लाइट ने ली हैं। मुंबई और पूणे की तर्ज पर थीम बेस गणेश उत्सव की शुरूआत हुई है। डिजिटल लाइट से डेकोरेशन किया गया हैं। पंडाल से बाहर 300 मीटर तक की सडक आकर्षक रोशनी से नहा रही हैं। पंडाल के अंदर और बाहर आकर्षक विद्युत सजावट की गई है।
मुंबई के लालबाग के राजा की झलक खंडवा में
मुंबई के लालबाग के राजा की मूर्ति और पंडाल की झलक अब खंडवा में ही देखने को मिल रही है। इसकी शुरूआत बड़ाबम चौक से जवाहर गंज गणेश मंडल ने खंडवा का राजा के नाम से भगवान श्री गणेश की मूर्ति बैठाने से की थी। शहर की सबसे बड़ी मूर्ति पहली बार बैठाई गई थी। इसके बाद से शहर में बड़ी मूर्ति की स्थापना और पंडाल का सिलसिला चल पडा। इस बार शहर में 30 से अधिक स्थानों पर 15 से 25 फीट तक की मूर्ति बैठाई गई हैं। विक्की बावरे ने बताया कि पांच लाख का खर्च में सजावट और पंडाल में आ जाता है।
पारंपरिक परिधान का चलन बढ़ा
गणेश उत्सव पर आयोजक पारंपरिक परिधान में नजर आ रहे हैं। जींस व टी शर्ट और शर्ट की जगह अब कुर्ता और पेजामा का उपयोग अधिक होने लगा है। हर दिन के लिए युवाओं ने पारंपरिक परिधान तय कर रखे हैं। इस तरह से हर एक पंडाल में आयोजकों ने इसे अपना ड्रेस कोड बना लिया हैं।
एंट्री पर पायरो शाट का उपयोग
जन्मदिन व शादी के कार्यक्रम में पायरो शॉट से होने वाली एंट्री गणेश उत्सव पर भी होने लगी हैं। गणेश उत्सव के पहले दिन बड़ाबम चौक पर भगवान श्री गणेश की स्थापना के साथ ही पायरो शॉट से एंट्री कर आतिशबाजी की गई। पुरानी अनाज मंडी में भी राम दरबार सजाया गया हैं। अयोध्या में स्थापित भगवान रात की मूर्ति की तरह ही गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की गई है।