दमोह. मातृ-शिशु मृत्युदर को कम करने के प्रयास प्रशासन स्तर से किए जा रहे हैं। मातृत्व सुरक्षा अभियान को गंभीरता से लेते हुए हाइरिस्क प्रसूताओं की देखरेख की जा रही है। पर, बीच-बीच में एक दो केस ऐसे सामने आ जाते हैं, जिससे डॉक्टरों की लापरवाही सामने आती है और सभी प्रयासों पर सवाल खड़े होने लगते हैं। हालांकि अब ऐसे मामलों में प्रबंधन बगैर किसी दबाव के जिम्मेदारों को नोटिस थमा रहा है। नवजात शिशु की मौत के ऐसे ही एक मामले में सिविल सर्जन ने डॉक्टर सहित यूनिट के सभी सदस्यों को नोटिस दिया है। साथ ही तय समय पर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। -यह है मामला जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में गोमती पत्नी इमरत पटेल को प्रसव पीड़ा के चलते भर्ती कराया गया था। यहां २३ दिसंबर को प्रसूता ने एक मृत शिशु को जन्म दिया। मामले में खासाबात यह है कि प्रसव से पूर्व गर्भ में बच्चे की धड़कन चल रही थी। देर शाम जब डॉक्टरों ने उसका सिजेरियन किया तो मृत बच्चा पैदा हुआ। -इन्हें थमाया नोटिस सिविल सर्जन ने इस मामले में मेडिकल ऑफिसर डॉ. कृति पटेल, डॉ. सैफाली असाटी और नर्सिंग ऑफिसर सीमा दुबे, बबीता ठाकुर, ज्योति, पलक, रुचि, पूजा सेन, मनीषा, साक्षी गुप्ता को नोटिस दिया। इसमें पूछा गया है कि जब नवजात शिशु की धड़कन चल रही थी और कोई जटिलता नहीं थी, तब बच्चे की मौत कैसे हुई। नोटिस में लापरवाही की आशंका जताई गई है। -डॉक्टरों ने बोला था बच्चे को नहीं बचा पाए.. इस मामले में पत्रिका ने मृत बच्चे के पिता इमरत पटेल से बात की तो उसने बताया कि २३ दिसंबर को शाम ४ बजे तक बच्चे की धड़कन चल रही थी। कोई जटिलता नहीं थी। देर शाम जब ऑपरेशन हुआ तो बताया कि बच्चा पेट में ही खत्म हो गया था। पत्नी बच गई यही सोचकर कोई शिकायत नहीं की। -हर मौत की हो रहा रिव्यू.. अस्पतालमें होने वाली मौतों का रिव्यू हो रहा है। खासतौर पर मातृ और शिशु की मौत का। इस मामले में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर नजर रखे हुए हैं। यही वजह है कि प्रबंधन भी इस तरह की कैज्युअल्टी होने पर तुरंत संबंधितों को नोटिस देना शुरू कर दिया है। -वर्शन नवजात शिशु की मौत के मामले में संबंधितों को नोटिस दिए गए थे। अभी तक जवाब नहीं मिला है। मैं कल दिखवा लेता हूं।