-ं दोषी अधिकारियों के खातों की जांच करने समेत मामला एसीबी को सौंपने की संस्तुति की गई रणथंभोर टाइगर रिजर्व में वीआईपी स्पेशल कोटा बुकिंग के नाम पर भ्रष्टाचार के खेल का खुलासा हुआ है। वीआईपी बुकिंग के जरिए होटलों को लाभ पहुंचाने और वीआईपी लोगों से निर्धारित शुल्क से ज्यादा रकम वसूलकर भ्रष्टाचार किया गया। बार-बार एक ही होटल की पंजीकृत सफारियों को नियमों को ताक पर रखकर सेंचुरी में प्रवेश कराया गया। इसका खुलासा मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) सवाई माधोपुर पी. कथिरवेल (वर्तमान में सीसीएफ भरतपुर में तैनात) की जांच में हुआ है। उन्होंने इस मामले में वन संरक्षक (सीएफ) सेडूराम यादव, उप वन संरक्षक (डीसीएफ) संदीप कुमार, वन रक्षक तपेश कुमार बैरवा (यह अधिकारी अलग-अलग जगहों पर तैनात हैं) को दोषी पाया है। इन पर कार्रवाई की संस्तुति की है। साथ ही इन अधिकारियों के बैंक खातों की जांच करने समेत एसीबी में मामला भेजने की सिफारिश प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) कार्यालय से की है। मामला गंभीर होने के बाद भी अब तक विभाग के उच्चाधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की।
मार्च 2023 में राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के उपाध्यक्ष दीपक डंडोरिया की ओर से अंशुमान खेतान व उनकी पत्नी मीनाक्षी की सिफारिश वीआईपी स्पेशल कोटा बुकिंग के लिए रणथंभोर सेंचुरी के अफसरों से की गई थी। सरकार से इसका पत्र भी आया। अंशुमान खेतान को इस कोटे में सफारी उपलब्ध न कराकर नॉन वीआईपी कोटा दिया गया। उनसे जंगल ड्राइव सेल के नाम पर संबंधित होटल ने 57820 रुपए चार्ज किए, जबकि वीआईपी कोटे का निर्धारित शुल्क 7830 रुपए था। इस मामले की शिकायत हुई जो जांच में कई खुलासे हुए।
जांच में ये हुए खुलासे – वीआईपी कोटा बुकिंग में संबंधित पर्यटक को फोन किया जाता है। टिकट भुगतान की जानकारी दी जाती है। किस होटल में व्यक्ति ठहरा है, उसे लेने के लिए संबंधित सफारी जाती है। ऐसे में ड्राइवर व गाइड को भी फोन नंबर दिया जाता है। रेफरेंस में अंशुमान के नाम के आगे जो मोबाइल नंबर अंकित था वह सेवा में नहीं था। इससे प्रतीत होता है कि अंशुमान को टिकट भुगतान की जानकारी न हो, इसलिए गलत नंबर अंकित किए गए।
– उप वन संरक्षक, ऑफिस इंचार्ज टूरिज्म के वाट्सएप पर 12 मार्च 2023 की शाम की पारी में अंशुमान, पत्नी मीनाक्षी के साथ अन्य चार पर्यटकों के नाम अंकित हैं, जो कि पूर्णतया झूठे नाम हैं। 12 मार्च की सुबह की पारी में विनय शर्मा पीएस स्टेट मिनिस्टर व अध्यक्ष सफाई कर्मचारी आयोग दीपक डंडोरिया का रेफरेंस अंकित किया हुआ है। इस रेफरेंस से अंशुमान खेतान को जिप्सी न देकर बिना व्यक्ति के नाम के सिर्फ एचडीएफसी बैंक के नाम से एक जिप्सी आवंटित की गई। बिना स्पष्ट रेफरेंस के जिप्सी आवंटित करना संदेह की िस्थति पैदा करता है।
– डीसीएफ के वाट्सएप संदेश के मुताबिक अंशुमान को शाम की पारी में जिप्सी उपलब्ध कराई गई। उसका रेफरेंस सीसीएफ दिया गया है, जबकि यह संदेश किसके द्वारा भेजा गया है, उसका उल्लेख नहीं किया गया, जो किसी नॉन वीआईपी एजेंट की ओर से स्पेशल वीआईपी कोटा रिलीज करवाया गया है। इससे प्रतीत होता है कि वन संरक्षक सेडूराम ने किसी को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया है। उदाहरण के लिए विजय मीना भी एक एजेंट हैं, इन्होंने 148 बार सफारी उपलब्ध कराई है, जिसकी एवज में संबंधित होटल ने मार्च 2023 का भुगतान 57.87 लाख किया है। साथ ही वन संरक्षक ने विजय मीणा, जिसे अंशुमान खेतान का प्रतिनिधि बताया था, वह वास्तव में एक होटल का ट्रैवल एजेंट है। यह तथ्य उच्च कार्यालय को भेजे जवाब में वन संरक्षक ने छिपाया है।
– जांच रिपोर्ट में ऐसी जिप्सियों के नंबर मिले हैं, जिन्हें बार-बार सेंचुरी में जाने का मौका दिया गया, जबकि रोटेशन लागू था। ऑनलाइन टिकट बंदी के बाद भी ऑफलाइन टिकट दिए गए। जांच में होटल, वन विभाग के अफसरों का गठजोड़ सामने आया, जिससे वीआईपी लोगों को 6830 की सफाई 57820 में पड़ी।
इस मामले की रिपोर्ट पीसीसीएफ कार्यालय भेजी गई है। वहीं से जानकारी मिल सकेगी। – पी. कथिरवेल, प्रारंभिक जांच अधिकारी सरकार की ओर से तय नियमों के मुताबिक ही सफारी बुक की गई थी। हमने नियमों का पूरा पालन किया है।
– सेडूराम यादव, सीसीएफ प्लानिंग, जयपुर