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BAGESHWAR DHAM अब जात-पात रूपी भूत-प्रेत को भगा रहे धीरेन्द्र कृष्ण: राम भद्राचार्य

नौवें दिन रामराजा सरकार को भगवां ध्वजा चढ़ाकर उनकी पूजा अर्चना करते हुए यात्रा का विराम हो गया।

छतरपुरNov 30, 2024 / 10:49 am

Dharmendra Singh

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ओरछा में यात्रा के समापन पर उमड़े श्रद्धालु

छतरपुर. बागेश्वर धाम से बुन्देलखण्ड की अयोध्या कही जाने वाली रामराजा सरकार की नगरी ओरछा तक 9 दिवसीय सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा का शुक्रवार को विराम हो गया। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में जात-पात, छुआ-छूत मिटाने का उद्देश्य लेकर यह यात्रा की जा रही थी। नौवें दिन रामराजा सरकार को भगवां ध्वजा चढ़ाकर उनकी पूजा अर्चना करते हुए यात्रा का विराम हो गया। विराम के अवसर पर आए जगतगुरू तुलसी पीठाधीश्वर पूज्य रामभद्राचार्य महाराज ने मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन देते हुए कहा कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेन्द्र शास्त्री लोगों के भूत-प्रेत भगाते रहे हैं, अब जात-पात और छुआछूत रूपी भूत-प्रेत भगाने में लगे हैं।

यात्रा करीब 11 बजे रामराजा सरकार की शरण में पहुंच गई

महाराज ने ओरछा पहुंचने पर महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा को पुष्पांजलि समर्पित की। इस अवसर पर स्वामी कृष्णानंद महाराज, हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास महाराज सहित विभिन्न स्थानों से आए संतों के अलावा मप्र के मंत्री प्रहलाद पटेल, दिलीप अहिरवार, विधायक अरविंद पटैरिया, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, झांसी महापौर बिहारीलाल आर्य, विधायक संजय पाठक सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा नौवें दिन ओरछा तिराहे से शुरू हुई। सुबह पौने 9 बजे यात्रा की शुरूआत हुई और यात्रा करीब 11 बजे रामराजा सरकार की शरण में पहुंच गई।

रामराजा सरकार की शरण में पहुंचे और पूजा अर्चना करते हुए ध्वज चढ़ाया

महाराज विभिन्न स्थानों से आए संतों के साथ रामराजा सरकार की शरण में पहुंचे और पूजा अर्चना करते हुए ध्वज चढ़ाया। यात्रा में चलने वाले लोगों की मंगल कामना के लिए रामराजा सरकार से प्रार्थना की। इस विराम दिवस पर बागेश्वर महाराज के गुरू जगतगुरू परम पूज्य रामभद्राचार्य महाराज ने पदयात्रियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि जो हिमालय के समान स्थिर और चन्द्रमा के समान शीतल है वही हिन्दू है। हिन्दू कभी हिंसक नहीं होता लेकिन हिंसा का विनाश करने वाला अवश्य होता है। उन्होंने कहा कि अब ओम शांति के साथ ओम क्रांति का नारा भी लगना चाहिए। जगतगुरू महाराज ने कहा कि शास्त्रों में इसका उल्लेख है कि जो हमारी हिंसा करने आएं उसकी हिंसा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि रामकृष्ण के बिन्दु हैं हम हिन्दू हैं। उन्होंने एक सवाल में यह कहा कि जहां भी हिन्दू मंदिर होंगे उन्हें लेकर रहेंगे। जगतगुरू महाराज के पहले उनके शिष्य एवं उत्तराधिकारी रामचन्द्रदास महाराज ने कहा कि ओरछा दूसरी अयोध्या है यहां से जाति-पाति के ढांचे को ढहाने का संकल्प लेना है।

झांकियों ने बढ़ाया यात्रा का आकर्षण


इस पदयात्रा में विभिन्न समाजों और देश की विभिन्न संस्कृतियों को समाहित करने वाली झांकियों भी साथ-साथ चल रही थीं। निवाड़ी में महाराष्ट्र, राजस्थान सहित कई प्रदेशों की अद्भुत झांकियां सजाई गईं। यह झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं। बीच में भी कई जगह सजीव झांकियां सजाई गई थीं। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर की सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा में मप्र से लेकर उप्र की सीमाओं में जगह-जगह बुल्डोजर से फूलों की बारिश की गई। पदयात्रियों पर बुल्डोजर में खड़े होकर लोगों ने पुष्प बरसाए। लोगों का कहना था कि यह अत्यंत सौभाग्य का क्षण है कि हम इस 9 दिवसीय यात्रा में मानसिक रूप से साथ चल रहे हैं।

आज संकल्प लें की जात-पात की दीवार तोड़ेंगे: चिदानंद मुनि


उत्तराखण्ड के ऋषिकेश में स्थित परमार्थ निकेतन से आए चिदानंद मुनि महाराज ने कहा कि आज खण्ड-खण्ड भारत होते देखकर मन में पीड़ा होती है लेकिन एक मंदिर से शुरू हुई दूसरे तीर्थ स्थल की पदयात्रा विश्व यात्रा बनेगी। उन्होंने कहा कि आज हम सब संकल्प लें कि जाति-पाति की दीवार को हम मिटाकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि सनातन बचेगा तभी भारत बचेगा। वहीं श्रीधाम वृंदावन से आए मृदुलकांत शास्त्री ने कहा कि बागेश्वर महाराज अगली यात्रा बृज से निकालें, सभी मंदिर यात्रा की व्यवस्था देखेंगे। उन्होंने पदयात्रियों से कहा कि सभी लोग हर रोज पांच या 11 हनुमान चालीसा करें ताकि अखण्ड भारत के लिए समर्थन मिल सके।

गांव-गांव जाकर हिन्दुओं को जगाएंगे: बागेश्वर महाराज


बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि तमाम परिस्थितियों के कारण सीधे-साधे लोग उन तक नहीं पहुंच पाते। इसलिए उन्होंने इस यात्रा से एक संकल्प लिया है कि वे बीच-बीच में गांव-गांव जाएंगे और लोगों को कट्टर हिन्दू बनाने के लिए जगाएंगे। इस पदयात्रा से जो अलख जगी है वह लगातार बढ़ती रहे क्योंकि अगर हिन्दू नहीं रहेगा तो न हिन्दुस्तान रहेगा न संस्कृति रहेगी और न परंपरा बचेगी। गांव-गांव जाकर लोगों को जगाकर उनसे दक्षिणा नहीं बल्कि यह वचन लेना है कि वे आखिरी सांस तक अपने धर्म में रहें।

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