4जी एवं 5जी नेटवर्क पर चलने वाले एंड्राइड मोबाइल यूजर प्ले स्टोर पर जाकर एमपी जीआरपी हेल्प एप डाउनलोड कर सकते हैं। डाउनलोड के बाद कोई रजिस्ट्रेशन ्रनहीं करना होता। नंबर ही पहचान होता है। एप में लाल रंग का पेनिक बटन दबाते ही कंट्रोल रूम कॉल बैक करेगा। जीआरपी, आरपीएफ से अभी तक 70 फीसदी महिलाओं ने मदद ली। जबकि 30 फीसदी पुरुषों ने बर्थ पर कब्जे एवं कंपार्टमेंट के अंदर लड़ाई झगड़े की शिकायत की। इसके पहले रेलवे ने आरमित्र एप भी बनाया था। इसके अलावा ट्रेन में अकेले सफर कर रही महिलाओं की सुरक्षा के लिए आरपीएफ मेरी सहेली अभियान चला रहा है। जिसमें रेलवे सुरक्षा बल के 182 नंबर पर फोन करने पर महिला कांस्टेबल महिला की सुरक्षा के लिए हाजिर हो जाएगी।
बसों में ऐसे काम करेगा बटनयात्री बसों के अंदर लगभग 12 हजार रुपए में आने वाली जीपीएस डिवाइस इंजन से जोडऩी होगी। इसे परिवहन विभाग के सर्वर से व्हीकल नंबर के साथ कनेक्टिविटी दी जाएगी। बसों के अंदर प्रत्येक सीट पर डिवाइस से जुड़े बटन मौजूद रहेंगे। इन्हें पैनिक बटन नाम दिया गया है। इसे दबाते ही बस की जीपीएस लोकेशन एवं नंबर कंट्रोल रूम सर्वर की स्क्रीन पर नजर आने लगेगी। ये अलर्ट संबंधित जिले की फ्लाइंग स्क्वॉड को भेजी जाएगा। चंद मिनटों में बस को रोककर इसकी जांच की जा सकेगी।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे लगातार अपनी व्यवस्था को अपग्रेड कर रहा है। खासकर सफर के दौरान महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में और सजगता के उपाय किए जा रहे हैं। सम्मेलन में बेहतर फीडबैक मिले हैं।
देवाशीष त्रिपाठी, डीआरएम