ऐसे होती है शुरुआत: पहचानो में कौन, भूल गए क्या… मोबाइल पर कॉल आता है, तो कॉल उठाकर नाम लेकर पूछा जाता है। सामने से फ्रॉड करने वाले को व्यक्ति के नाम के बारे में जानकारी होती है। तब बार-बार कहा जाता है कि पहचानो मैं कौन हूं। मैं, आपका अजीज हूं, जिसने बरसों बाद कॉल किया है।
फोन रिसीव करने वाला अंदाज से किसी की नाम लेता है, तो साइबर अपराधी कहता है कि इतने भुलक्कड़ हो गए हो। मुझे भूल गए और नंबर सेव करने को कहता है। इसके बाद दौर बातचीत का शुरू होता है और साइबर ठग कहता है कि आपके खाते में कुछ रुपए भिजवा रहा हूं। आप कुछ समय बाद आधे वापस कर देना और इसके बाद टेक्स्ट मैसेज आता है। इसमें रुपए भेजने की जानकारी आती है और कहा जाता है कि आपके खाते में रुपए डलवा दिए हैं।
…तब पता चलता है उपभोक्ता के मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज आने के बाद अधिकतर उपभोक्ता खाता देखते नहीं। कुछ देर फ्रॉड करने वाले व्यक्ति का कॉल आता है कि उसकी पत्नी, बच्ची, बच्चा सड़क दुर्घटना में घायल हो गया है। उसे अस्पताल लेकर जा रहा हूं। आप एक बार आधे रुपए वापस भेज दो। पीछे से रोने-चीखने की आवाजें भी आती हैं। हड़बड़ाहट में कई उपभोक्ता रुपए भेज देते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं।
होता यह है ये ठग इतने शातिर होते हैं कि आपको रुपए ट्रांसफर होने का एक मैसेज भी भेजते हैं, लेकिन यहीं ध्यान देने वाली बात होती है। दरअसल, खाते में रुपए जमा होने का जो मैसेज आता है, वह बैंक से नहीं, बल्कि ये ठग खुद अपने नंबर से भेजते हैं। अक्सर लोग सिर्फ मैसेज देखते हैं और निश्चित हो जाते हैं कि रुपए तो आ ही गए हैं और फिर उसमें से आधे पैसे वापस करने के नाम पर गलती कर बैठते हैं।
साइबर ठगी से बचाव के सात उपाय 1. संदिग्ध लिंक और ईमेल से बचें। अनजान शस के भेजे ईमेल या मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें। (वेबसाइट ₹रु को ध्यान से जांचें; फिशिंग साइट्स अक्सर वास्तविक साइटों की नकल करती हैं)
2. दो-स्तरीय प्रमाणीकरण ( Two- Factor Authentication) का उपयोग करें। 3. सॉटवेयर और एंटीवायरस को अपडेट रखें। 4. सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग सावधानीपूर्वक करें, जैसे ऑनलाइन बैंकिंग का उपयोग करने से बचें।
5. व्यक्तिगत जानकारी जैसे फोन नंबर, ईमेल, जन्म तिथि आदि साझा करने से बचें। 6. संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें, अगर ठगी का शिकार हो जाएं, तो तुरंत अपनी बैंक और संबंधित साइबर सेल को सूचित करें।
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