- शुरुआती करियर (20 से 30 की उम्र तक)
20 से 30 की उम्र के बीच के युवा पेशेवरों के लिए समय ही उनकी सबसे बड़ी संपत्ति है। कम वित्तीय ज़िम्मेदारियों के साथ, आप ज़्यादा लाभ के लिए ज़्यादा जोखिम उठा सकते हैं। इक्विटी बाजारों का लाभ उठाकर और निवेश का अनुभव प्राप्त करके बेहतर धन निर्माण पर ध्यान केंद्रित करें।
इक्विटी और अधिक जोखिम वाले एसेट: स्टॉक, इक्विटी म्यूचुअल फंड और उच्च वृद्धि वाले ETF में निवेश करें।
सिसिटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP): यदि आप निश्चित नहीं हैं कि कहां से शुरुआत करें, तो म्यूचुअल फंड के लिए एसआईपी सेटअप करने से आपको रुपया-लागत औसत से लाभ प्राप्त करने और अनुशासन बनाने में मदद मिलेगी।
- करियर के बीच में (30 से 40 के बीच)
जैसे-जैसे आपका करियर आगे बढ़ता है, वित्तीय ज़िम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं। घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा के लिए बचत करना या रिटायरमेंट की योजना बनाना। विकास और स्थिरता के बीच संतुलन बनाना और जोखिम कम करने के लिए विविधता लाना और बेहतर रिटर्न का लक्ष्य रखना बहुत ज़रूरी है।
बैलेंस्ड पोर्टफोलियो: इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट के मिश्रण पर विचार करें। हालांकि इक्विटी को अभी भी आपके पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, लेकिन बॉन्ड या फिक्स्ड डिपॉजिट को जोड़ने से स्थिरता मिलती है।
- रिटायरमेंट पहले (50 से 60 के दशक के प्रारंभ तक)
जैसे-जैसे रिटायरमेंट करीब आता है, धन संरक्षण महत्वपूर्ण हो जाता है। मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अपनी बचत बढ़ाते हुए कम जोखिम वाली, आय-उत्पादक संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित करें। इस स्टेज में स्थिरता आवश्यक है।
आय-उत्पादक निवेश: अपने पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा डिविडेंड देने वाले स्टॉक, बांड और निश्चित आय वाले निवेशों में लगाएं, जो नियमित आय प्रदान करेंगे और जोखिम को कम करेंगे।
- रिटायरमेंट (60 वर्ष और उससे अधिक)
रिटायरमेंट में, आपका ध्यान स्थिर आय उत्पन्न करने और धन को संरक्षित करने पर केंद्रित हो जाता है। अनावश्यक वित्तीय जोखिम के बिना अपनी लाइफस्टाइल को बनाए रखने के लिए रिस्क मैनेजमेंट महत्वपूर्ण है।
डिविडेंड स्टॉक और बांड: लाभांश देने वाले स्टॉक, सरकारी बांड और फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करें जो नियमित आय स्रोत प्रदान करते हैं।