फसलों में रासायनिक खादों का बढ़ रहा उपयोग जिले में आर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन और जिंक की कमी से मिट्टी की उर्वरा कमजोर हो रही। इसकी वजह हर साल फसलों में रासायनिक खादों का बढ़ रहा उपयोग है। तमाम प्रयास के बाद भी रासायनिक खादों की मात्रा कम नहीं हो रही है। सहायक मिट्टी परीक्षण लैब में खेतों के मिट्टी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में हुआ है। लैब में अभी दस हजार से अधिक नमूनों की जांच होना बाकी है। सहायक मिट्टी परीक्षण लैब में कृषि विस्तार अधिकारियों को मिट्टी नमूनों के जांच परीक्षण की बारीकियां बताई जा रही है। छैगांव माखन ब्लाक से 2750 नमूनों एकत्रित किए गए हैं।
प्रति हेक्टेयर 250 से 400 किग्रा नाइट्रोजन होना चाहिए जांच रिपोर्ट में नाइट्रोजन की जांच के दौरान कृषि विस्तार अधिकारियों को बताया कि प्रति हेक्टेयर 250 से 400 किग्रा नाइट्रोजन होना चाहिए। जांच में 250 के मध्य मिला है। इसी तरह जिंक में पाइंट-5 से कम है। मिट्टी में प्रोटीन 280 प्रति किग्रा का मापदंड है। जांच में 180-258 के बीच प्रोटीन मिला है। जांच रिपोर्ट में छैगांव माखन, खंडवा और पंधाना की मट्टी में अधिक कमी पाई गई है। शेष ब्लाकों में भी आर्गेनिक कार्बन, जिंक व नाइट्रोजन की सामान्य से कम हो रही है। ऐसे स्थिति में सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी कविता गवली ने सुझाव दिया कि इस कमी को दूर करने के लिए प्राकृतिक खेती करना होगी। गर्मियों में खेतों की जुताई के समय गोबर खाद, कम्पोस्ट, जैविक खादों का उपयोग बढ़ाना होगा। इसके उपयोग से मिट्टी की उर्वरा सक्ति बढ़ेगी। और उत्पादन भी बढ़ेगा।
17 हजार मिट्टी नमूनों का लक्ष्य मिट्टी नमूनों की जांच के लिए 17 हजार 893 नमूनों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिले में सिर्फ एक सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी पदस्थ है। ब्लाक स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारियों को किसानों के खेतों की मिट्टी के नमूने लेकर जिला मुख्यालय पर स्थित सहायक मिट्टी परीक्षण लैब में भेजा है। अभी तक करीब छह हजार नमूनों की जांच हुई है।
इन बिंदुओं पर मिट्टी परीक्षण -पीएच, इसी, जैविक कार्बन, उपलब्ध नाइट्रोजन, पेटिशयम, सल्फर, जिंक, आयरन, मैग्नीज, कापर, बोरान आदि 12 बिंदुओं की जांच मिट्टी में की जाती है। ब्लाक स्तर पर लैब में ताला, जर्जर हो रहे भवन
कृषि विभाग की ब्लाक स्तरीय लैब में ताला लटक रहा है। बताया गया कि लैब में वर्ष 2016-17 से लेकर अब तक कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई। प्रत्येक ब्लाक में करीब 36 लाख रुपए की लागत से लैब का निर्माण कराया गया है। निर्माण के बाद से एक भी दिन जांच नहीं की गई। कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होने से लाखों रुपए की लैब जर्जर हो रही है।