वर्षाजल का अवशोषण बढ़ जाता
मई से जून तक ग्रीष्मकालीन जुताई की जाती है, जहां तक हो सके किसान भाइयों को गर्मी की जुताई रबी की फसल कटने के तुरन्त बाद मिट्टी पलटने वाले हल से कर देनी चाहिए। खेत की मृदा में नमी संरक्षित होने के कारण बैलों व ट्रैक्टर को कम मेहनत करनी पड़ती है। मृदा पलटने वाले हल से इस माह खेतों की जुताई करना लाभदायक है। जुताई के लिए मृदा पलटने वाला हल या ट्रैक्टरचालित यंत्र भी उपयोग में ले सकते हैं। इससे निचली परत की मृदा के साथ खरपतवारों के बीज, रोगों के कीटाणु, अंडे आदि ऊपर आ जाते हैं, जो सूरज की गर्मी से मर जाते हैं। इससे खरपतवारों की संख्या और कीट-पतंगे कम हो जाते हैं। इसके साथ ही मृदा में वर्षाजल का अवशोषण बढ़ जाता है तथा मृदा की उर्वराशक्ति में भी सुधार होता है। गर्मी की जुताई करने से खरीफ की बुआई के लिए खेत की तैयारी आसान एवं कम समय में हो जाती है। यदि खेत समतल नहीं है, तो इस माह लेवलर की सहायता से खेतों का समतलीकरण कर लें। इस प्रकार सिंचाई के समय पानी खेत में समान रूप से लगाया जा सके और पानी की बचत की जा सके। यदि जुताई संभव न हो, तो केवल मृदा सौरीकरण भी किया जा सकता है। इसके लिए मृदा की सतह पर पॉलीथीन की एक चादर या पट्टी बिछा दें। इससे मृदा की गर्मी से परत के नीचे का तापमान बहुत बढ़ जाता है और रोगों के कीटाणु, अनावश्यक बीज, कीट-पतंगों के अंडे आदि सब नष्ट हो जाते हैं।
बीज का बिल जरूर लें
डॉ दयानन्द ने बताया कि खरीफ की फसलों के लिए अच्छे एवं प्रमाणित बीज का ही चयन करें। बीज का बिल जरूर लें । बीजों को उपचारित करके ही बुवाई करें जिससे मिट्टी जनित लगने वाले रोगों से निजात मिल सकेगी ।कार्यक्रम में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में जानकारी दी एवं किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए। कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ प्रदीप, रमन मीणा, कृषि पर्यवेक्षक आशीष कुमार, अजय झाझड़िया, बद्रीनारायण, ग्रामीण हरीसिंह, दलीप शर्मा, चंदगीराम सहित 40 से ज्यादा किसान मौजूद रहे।