बड़ों का आदेश
दिवाली के त्योहार का समय था। आराध्या और चिंकी की छुट्टियां चल रही थीं। उनकी मम्मी उनसे कहती हैं कि छुट्टियों में थोड़ा घर का काम ही कर लो। घर के काम में मेरी मदद कर दो। तब आराध्या कहती है चलो चिंकी बर्तन साफ कर लेते हैं। बर्तनों को साफ कपड़े से पोंछकर रख अलमारी में जमा देते हैं। पर चीनी मिट्टी की प्लेट तुम मत साफ करना। तुम छोटी हो, तो टूट सकती हैं। तब चिंकी कहती है, दीदी मैं कर दूंगी। तब आराध्या बोली, अच्छा ठीक है पर ध्यान से करना, क्योंकि प्लेट गिर गई तो टूट जाएगी। तब चिंकी कहती है, हां दीदी में ध्यान से करूंगी, लेकिन साफ करते-करते अचानक चिंकी के हाथ से एक प्लेट गिरकर टूट जाती है। और उसी वक्त उसे अपनी भूल का अहसास होता है कि उसने बड़ों की बात नहीं मानी। वह अपनी बहन से माफी मांगती है और कहती है कि आगे से बड़ों की बात मानेगी। उसकी दीदी ने भी उसे प्लेट टूटकर गिरने पर डांटा नहीं, बल्कि समझाया और कहा घर में जो बड़े होते हैं, उनकी बात मानने में ही भलाई है। वे हमारे अच्छे के लिए हमें समझाते और आदेश देते हैं।
दिवाली के त्योहार का समय था। आराध्या और चिंकी की छुट्टियां चल रही थीं। उनकी मम्मी उनसे कहती हैं कि छुट्टियों में थोड़ा घर का काम ही कर लो। घर के काम में मेरी मदद कर दो। तब आराध्या कहती है चलो चिंकी बर्तन साफ कर लेते हैं। बर्तनों को साफ कपड़े से पोंछकर रख अलमारी में जमा देते हैं। पर चीनी मिट्टी की प्लेट तुम मत साफ करना। तुम छोटी हो, तो टूट सकती हैं। तब चिंकी कहती है, दीदी मैं कर दूंगी। तब आराध्या बोली, अच्छा ठीक है पर ध्यान से करना, क्योंकि प्लेट गिर गई तो टूट जाएगी। तब चिंकी कहती है, हां दीदी में ध्यान से करूंगी, लेकिन साफ करते-करते अचानक चिंकी के हाथ से एक प्लेट गिरकर टूट जाती है। और उसी वक्त उसे अपनी भूल का अहसास होता है कि उसने बड़ों की बात नहीं मानी। वह अपनी बहन से माफी मांगती है और कहती है कि आगे से बड़ों की बात मानेगी। उसकी दीदी ने भी उसे प्लेट टूटकर गिरने पर डांटा नहीं, बल्कि समझाया और कहा घर में जो बड़े होते हैं, उनकी बात मानने में ही भलाई है। वे हमारे अच्छे के लिए हमें समझाते और आदेश देते हैं।
निखिल नागर, उम्र- 9 वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………………… गुस्सा करना बुरी बात
दो बहनें थीं। बड़ी का नाम पिंकी और छोटी बहन का नाम परी था। पिंकी बात-बात पर गुस्सा होती थी। उसकी मां उसे हमेशा समझाती रहती थीं कि बेटा इतना गुस्सा करना अच्छी बात नहीं है, लेकिन फिर भी उसके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया। एक दिन परी अपना होमवर्क करने में व्यस्त थी। उसकी टेबल पर एक सुंदर-सा फूलों से सजा पॉट रखा था। तभी उसकी छोटी बहन का हाथ उस पॉट से टकराया और गिर कर टूट गया। पिंकी गुस्से से बौखला उठी और छोटी बहन को मारने के लिए आई। तभी वहां उसकी मां ने एक आईना लाकर उसके सामने रख दिया। गुस्से से भरी पिंकी ने अपनी शक्ल आईने में देखी, तो हैरान रह गई कि गुस्से में वह कितनी बुरी दिख रही थी। तभी उसकी मां ने उसे समझाया कि गुस्सा करने से न केवल सूरत बुरी होती है, बल्कि स्वभाव भी खराब होता जाता है। जिसके परिणाम बुरे आते हैं। तब पिंकी सारी बात समझ गई और उसका गुस्सा छू-मंतर हो गया। उसने छोटी बहन को गले लगा लिया और तभी से उसने गुस्सा करना बंद कर दिया।
……………………………………………………………………………………………………………………………………… गुस्सा करना बुरी बात
दो बहनें थीं। बड़ी का नाम पिंकी और छोटी बहन का नाम परी था। पिंकी बात-बात पर गुस्सा होती थी। उसकी मां उसे हमेशा समझाती रहती थीं कि बेटा इतना गुस्सा करना अच्छी बात नहीं है, लेकिन फिर भी उसके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया। एक दिन परी अपना होमवर्क करने में व्यस्त थी। उसकी टेबल पर एक सुंदर-सा फूलों से सजा पॉट रखा था। तभी उसकी छोटी बहन का हाथ उस पॉट से टकराया और गिर कर टूट गया। पिंकी गुस्से से बौखला उठी और छोटी बहन को मारने के लिए आई। तभी वहां उसकी मां ने एक आईना लाकर उसके सामने रख दिया। गुस्से से भरी पिंकी ने अपनी शक्ल आईने में देखी, तो हैरान रह गई कि गुस्से में वह कितनी बुरी दिख रही थी। तभी उसकी मां ने उसे समझाया कि गुस्सा करने से न केवल सूरत बुरी होती है, बल्कि स्वभाव भी खराब होता जाता है। जिसके परिणाम बुरे आते हैं। तब पिंकी सारी बात समझ गई और उसका गुस्सा छू-मंतर हो गया। उसने छोटी बहन को गले लगा लिया और तभी से उसने गुस्सा करना बंद कर दिया।
पारस कुमार, उम्र- 7 वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………………… दो बहनों का प्यार
दो बहनें अपने माता पिता के साथ रहती थीं। एक दिन उनके माता पिता को कहीं आवश्यक कार्य से बाहर जाना पड़ा। तब बड़ी बहन जिसका नाम शालू था, उसकी माता ने उसे कहा कि हम बाहर जा रहे हैं। शाम तक वापस घर आ जाएंगे। घर पर दोनों बहनें अकेली थीं। तब बहनों ने सोचा कि क्यों नहीं घर की साफ सफाई की जाए। बड़ी बहन शालू सफाई में लग गई और छोटी बहन परी एक कांच के कप को साफ करने लगी। तभी उसके हाथ से कप छूट गया और फर्श पर कांच टूटकर बिखर गया। तब बड़ी बहन ने उसे समझाया कि हर कम को ध्यान से करना चाहिए। परी ने बात मानी और दोनों बहनों ने तुरंत कमरे का फर्श साफ किया। उसके बाद दोनों ने सावधानी से पूरे घर की साफ-सफाई कर डाली। जब उनके माता पिता घर आए तो घर की सफाई देखकर उन्होंने दोनों बहनों को शाबाशी दी।
……………………………………………………………………………………………………………………………………… दो बहनों का प्यार
दो बहनें अपने माता पिता के साथ रहती थीं। एक दिन उनके माता पिता को कहीं आवश्यक कार्य से बाहर जाना पड़ा। तब बड़ी बहन जिसका नाम शालू था, उसकी माता ने उसे कहा कि हम बाहर जा रहे हैं। शाम तक वापस घर आ जाएंगे। घर पर दोनों बहनें अकेली थीं। तब बहनों ने सोचा कि क्यों नहीं घर की साफ सफाई की जाए। बड़ी बहन शालू सफाई में लग गई और छोटी बहन परी एक कांच के कप को साफ करने लगी। तभी उसके हाथ से कप छूट गया और फर्श पर कांच टूटकर बिखर गया। तब बड़ी बहन ने उसे समझाया कि हर कम को ध्यान से करना चाहिए। परी ने बात मानी और दोनों बहनों ने तुरंत कमरे का फर्श साफ किया। उसके बाद दोनों ने सावधानी से पूरे घर की साफ-सफाई कर डाली। जब उनके माता पिता घर आए तो घर की सफाई देखकर उन्होंने दोनों बहनों को शाबाशी दी।
ध्यानवी जोशी, उम्र – 7 वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………………… काम ध्यान से करो
एक घर में एक मां कामकाज में व्यस्त थी। उसने देखा सब्जी खत्म हो गई है। सोचा बाजार से ले आऊं। उसकी दो बेटियां थीं। उसने अपनी बेटियों से कहा जब तक मैं घर वापस आऊं, तब तक तुम दोनों रसोईघर साफ कर देना। मां ने जाते-जाते कहा, ध्यान से सारे काम करना। बड़ी बेटी सावधानी से रसोई साफ करने लगती है। तभी छोटी कहती है दीदी मैं भी मदद करती हूं। बड़ी बहन ने उसे टेबल साफ करने के लिए कहा। उसने कहा, बस टेबल साफ कर देना। उस पर रखे बर्तनों को मत छूना। तुम छोटी हो, तो गिर कर टूट सकते हैं। लेकिन टेबल साफ करते वक्त एक बरतन गिरकर टूट गया। आवाज सुनकर बड़ी बहन दौड़कर आई और कहा जो भी काम करो, उसे ठीक से करो। पूरा मन लगाकर करो वरना ऐसे ही नुकसान होता है। मां ने भी यही बात कही थी। इस पर छोटी बहन बोली, ठीक है आगे से हर काम पूरा मन लगाकर ध्यान से करूंगी।
……………………………………………………………………………………………………………………………………… काम ध्यान से करो
एक घर में एक मां कामकाज में व्यस्त थी। उसने देखा सब्जी खत्म हो गई है। सोचा बाजार से ले आऊं। उसकी दो बेटियां थीं। उसने अपनी बेटियों से कहा जब तक मैं घर वापस आऊं, तब तक तुम दोनों रसोईघर साफ कर देना। मां ने जाते-जाते कहा, ध्यान से सारे काम करना। बड़ी बेटी सावधानी से रसोई साफ करने लगती है। तभी छोटी कहती है दीदी मैं भी मदद करती हूं। बड़ी बहन ने उसे टेबल साफ करने के लिए कहा। उसने कहा, बस टेबल साफ कर देना। उस पर रखे बर्तनों को मत छूना। तुम छोटी हो, तो गिर कर टूट सकते हैं। लेकिन टेबल साफ करते वक्त एक बरतन गिरकर टूट गया। आवाज सुनकर बड़ी बहन दौड़कर आई और कहा जो भी काम करो, उसे ठीक से करो। पूरा मन लगाकर करो वरना ऐसे ही नुकसान होता है। मां ने भी यही बात कही थी। इस पर छोटी बहन बोली, ठीक है आगे से हर काम पूरा मन लगाकर ध्यान से करूंगी।
तिथि जांगिड़, उम्र-10
……………………………………………………………………………………………………………………………………… हाथ बंटाना
एक बार की बात है। एक छोटे से शहर में डोली और जूली नाम की दो बहनें रहती थीं। एक दिन उन दोनों के मम्मी पापा पास के ही शहर जा रहे थे। जूली बड़ी बहन थी। इसलिए उसको कहा कि अपनी छोटी बहन डोली का खयाल रखना और खाना बनाकर खा लेना। मम्मी पापा के चले जाने के बाद जब दोपहर हुई, तो खाना खाकर जूली बर्तन रख रही थी। तब डोली ने भी जूली का हाथ बंटाने की कोशिश की, तो डोली के हाथ से एक प्लेट गिर गई और वह रोने लगी। जूली ने उसे चुप कराया और प्यार से समझाया कि तुम्हे ध्यान से काम करना चाहिए। वरना तुम्हें चोट भी लग सकती थी। डोली ने भी ध्यान से बात सुनी और कहा आगे से आपका हाथ बंटाते समय सावधानी रखूंगी। लापरवाही नहीं करूंगी।
……………………………………………………………………………………………………………………………………… हाथ बंटाना
एक बार की बात है। एक छोटे से शहर में डोली और जूली नाम की दो बहनें रहती थीं। एक दिन उन दोनों के मम्मी पापा पास के ही शहर जा रहे थे। जूली बड़ी बहन थी। इसलिए उसको कहा कि अपनी छोटी बहन डोली का खयाल रखना और खाना बनाकर खा लेना। मम्मी पापा के चले जाने के बाद जब दोपहर हुई, तो खाना खाकर जूली बर्तन रख रही थी। तब डोली ने भी जूली का हाथ बंटाने की कोशिश की, तो डोली के हाथ से एक प्लेट गिर गई और वह रोने लगी। जूली ने उसे चुप कराया और प्यार से समझाया कि तुम्हे ध्यान से काम करना चाहिए। वरना तुम्हें चोट भी लग सकती थी। डोली ने भी ध्यान से बात सुनी और कहा आगे से आपका हाथ बंटाते समय सावधानी रखूंगी। लापरवाही नहीं करूंगी।
दिव्यांश, उम्र-10 वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………………… गलती और माफी
एक घर में दो बहनें बड़े प्यार से रहती थीं। एक दिन चाय पीने के बाद छोटी बहन के हाथ से कप जमीन पर गिर गया। यह देखकर वह डर गई कि उसकी डांट पड़ेगी। उसने कहा दीदी कप गलती से टूट गया। गुस्सा मत होना। इस पर बड़ी बहन को उस पर प्यार आ गया। उसने छोटी बहन को माफ कर दिया और कहा अगली बार से ध्यान रखना। फिर दोनों ने मिलकर फर्श साफ किया। साफ करने के बाद बड़ी बहन ने छोटी को समझाया कि गलती सबसे होती है, लेकिन कोशिश करो कि दुबारा एक ही गलती को न दोहराओ। छोटी बहन ने कहा, मैं समझ गई और अपनी बड़ी बहन को गले लगा लिया।
……………………………………………………………………………………………………………………………………… गलती और माफी
एक घर में दो बहनें बड़े प्यार से रहती थीं। एक दिन चाय पीने के बाद छोटी बहन के हाथ से कप जमीन पर गिर गया। यह देखकर वह डर गई कि उसकी डांट पड़ेगी। उसने कहा दीदी कप गलती से टूट गया। गुस्सा मत होना। इस पर बड़ी बहन को उस पर प्यार आ गया। उसने छोटी बहन को माफ कर दिया और कहा अगली बार से ध्यान रखना। फिर दोनों ने मिलकर फर्श साफ किया। साफ करने के बाद बड़ी बहन ने छोटी को समझाया कि गलती सबसे होती है, लेकिन कोशिश करो कि दुबारा एक ही गलती को न दोहराओ। छोटी बहन ने कहा, मैं समझ गई और अपनी बड़ी बहन को गले लगा लिया।
प्रेमजीत नेहरा, उम्र-12 वर्ष