परिवार परिशिष्ट (8 जनवरी 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 13 में भेजी गई कहानियों में वन्दना जांगिड़, इनाया और हंशित माधवानी क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं।
समय का महत्त्व
एक छोटे से गांव में भाई बहन रोहन और आशा रहते थे। दोनों ही खेल कूद और पढऩे में मगन रहते लेकिन उनके समय प्रबंधन में बड़ा अंतर था। एक दिन गांव में एक बड़ी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें गांव के सभी बच्चे भाग ले सकते थे। प्रतियोगिता में कई पुरस्कार रखे गए थे। रोहन और आशा दोनों ही इसमें भाग लेने के लिए उत्सुक थे। आशा ने अपने समय का सदुपयोग करते हुए, प्रतियोगिता की तैयारी शुरू कर दी। वह हर दिन अपने कामों को पूरा करती और फिर प्रतियोगिता की तैयारी में समय देती। रोहन ने भी प्रतियोगिता की तैयारी शुरू की, लेकिन वह अपने समय का सदुपयोग नहीं कर पाया। वह दिनभर यहां-वहां घूमता रहता और अपने कामों को बार-बार टालता रहता।
एक छोटे से गांव में भाई बहन रोहन और आशा रहते थे। दोनों ही खेल कूद और पढऩे में मगन रहते लेकिन उनके समय प्रबंधन में बड़ा अंतर था। एक दिन गांव में एक बड़ी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें गांव के सभी बच्चे भाग ले सकते थे। प्रतियोगिता में कई पुरस्कार रखे गए थे। रोहन और आशा दोनों ही इसमें भाग लेने के लिए उत्सुक थे। आशा ने अपने समय का सदुपयोग करते हुए, प्रतियोगिता की तैयारी शुरू कर दी। वह हर दिन अपने कामों को पूरा करती और फिर प्रतियोगिता की तैयारी में समय देती। रोहन ने भी प्रतियोगिता की तैयारी शुरू की, लेकिन वह अपने समय का सदुपयोग नहीं कर पाया। वह दिनभर यहां-वहां घूमता रहता और अपने कामों को बार-बार टालता रहता।
प्रतियोगिता के दिन आशा पूरी तरह से तैयार थी, जबकि रोहन अभी भी अपनी तैयारी पूरी नहीं कर पाया था। प्रतियोगिता में आशा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और उसने पुरस्कार जीता। रोहन ने भी प्रतियोगिता में भाग लिया, लेकिन वह पुरस्कार नहीं जीत पाया। रोहन ने आशा से पूछा, तुमने यह पुरस्कार कैसे जीता? आशा ने जवाब दिया, मैंने अपने समय का सदुपयोग किया और प्रतियोगिता की तैयारी में समय दिया। रोहन ने समझ लिया कि समय का महत्त्व क्या है और उसने अपने समय प्रबंधन में सुधार करने का फैसला किया। इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि समय का सदुपयोग करना बहुत महत्त्वपूर्ण है।
–वन्दना जांगिड़, उम्र-9साल
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. शरारती लड़का
रोहन बेहद शरारती था। उसे लोगों को परेशान करने में मजा आता था। एक दिन वह अपनी दोस्त रीमा के साथ खेल रहा था। उसने मेगाफोन उठाया और तेज आवाज में बोलकर रीमा को डराने लगा। रीमा ने कान बंद करते हुए कहा, रोहन, यह ठीक नहीं है। मुझे तकलीफ हो रही है। लेकिन रोहन ने इसे मजाक समझकर नजरअंदाज कर दिया और हंसने लगा। थोड़ी देर बाद रोहन ने दूसरे बच्चों को तंग करना शुरू कर दिया। उसने एक बच्चे की टोपी छीन ली और दूसरे की किताबें छिपा दीं। सभी बच्चे उसकी शरारतों से परेशान होकर उससे दूर भागने लगे।
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. शरारती लड़का
रोहन बेहद शरारती था। उसे लोगों को परेशान करने में मजा आता था। एक दिन वह अपनी दोस्त रीमा के साथ खेल रहा था। उसने मेगाफोन उठाया और तेज आवाज में बोलकर रीमा को डराने लगा। रीमा ने कान बंद करते हुए कहा, रोहन, यह ठीक नहीं है। मुझे तकलीफ हो रही है। लेकिन रोहन ने इसे मजाक समझकर नजरअंदाज कर दिया और हंसने लगा। थोड़ी देर बाद रोहन ने दूसरे बच्चों को तंग करना शुरू कर दिया। उसने एक बच्चे की टोपी छीन ली और दूसरे की किताबें छिपा दीं। सभी बच्चे उसकी शरारतों से परेशान होकर उससे दूर भागने लगे।
अब कोई भी उसके साथ खेलना नहीं चाहता था। शाम को रोहन घर पहुंचा तो वह उदास था। उसकी मां ने कारण पूछा तो उसने सब बता दिया। मां ने प्यार से समझाया, बेटा, मजाक वही अच्छा होता है जो दूसरों को हंसाए। लेकिन अगर तुम्हारे मजाक से किसी को तकलीफ हो तो वह गलत है। इस तरह तुम अपने दोस्तों को खो दोगे। रोहन को अपनी गलती का अहसास हुआ। अगले दिन उसने सभी से माफी मांगी और वादा किया कि अब वह ऐसा कोई मजाक नहीं करेगा, जिससे किसी को तकलीफ हो। सबने उसे माफ कर दिया और रोहन ने सीखा कि दूसरों को खुश रखना ही सच्ची खुशी है।
–इनाया, उम्र-12साल
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. शोर की सीख
एक छोटे से गांव में मीरा और मोहन नाम के दो प्यारे बच्चे रहते थे। मीरा और मोहन अच्छे दोस्त थे और हर समय एक साथ खेलते थे। दोनों को नई-नई चीजें बनाना और खेलना बहुत पसंद था। एक दिन उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ मजेदार और अलग किया जाए। मीरा ने एक मजेदार टोपी पहनी थी और मोहन ने एक छोटी सी लाल टोपी। दोनों ने घर के पुराने सामान से एक सीटी, ढोल और टीन के डब्बे निकाले। मोहन ने एक कागज की ट्यूब बनाई, जिसे वो माइक की तरह इस्तेमाल करने लगा। मोहन ने उस ट्यूब में जोर से बोलना शुरू किया, मीरा! सुनो, यह माइक कितना जोर से आवाज करता है। मीरा ने पहले उसकी बात सुनी, लेकिन फिर उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए, क्योंकि आवाज बहुत तेज और परेशान करने वाली थी। मीरा बोली, मोहन, इतनी तेज आवाज से मुझे तकलीफ हो रही है। क्या तुम थोड़ा धीरे बोल सकते हो? लेकिन मोहन मजे में था और उसने और तेज आवाज में बोलना शुरू कर दिया।
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. शोर की सीख
एक छोटे से गांव में मीरा और मोहन नाम के दो प्यारे बच्चे रहते थे। मीरा और मोहन अच्छे दोस्त थे और हर समय एक साथ खेलते थे। दोनों को नई-नई चीजें बनाना और खेलना बहुत पसंद था। एक दिन उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ मजेदार और अलग किया जाए। मीरा ने एक मजेदार टोपी पहनी थी और मोहन ने एक छोटी सी लाल टोपी। दोनों ने घर के पुराने सामान से एक सीटी, ढोल और टीन के डब्बे निकाले। मोहन ने एक कागज की ट्यूब बनाई, जिसे वो माइक की तरह इस्तेमाल करने लगा। मोहन ने उस ट्यूब में जोर से बोलना शुरू किया, मीरा! सुनो, यह माइक कितना जोर से आवाज करता है। मीरा ने पहले उसकी बात सुनी, लेकिन फिर उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए, क्योंकि आवाज बहुत तेज और परेशान करने वाली थी। मीरा बोली, मोहन, इतनी तेज आवाज से मुझे तकलीफ हो रही है। क्या तुम थोड़ा धीरे बोल सकते हो? लेकिन मोहन मजे में था और उसने और तेज आवाज में बोलना शुरू कर दिया।
मीरा को यह ठीक नहीं लगा। उसने कहा, अगर तुमने इसे नहीं रोका तो मैं यहां से चली जाऊं गी। मोहन को पहले यह मजाक लग रहा था, लेकिन जब उसने देखा कि मीरा परेशान हो रही है, तो वह चुप हो गया। मीरा ने मोहन से कहा, देखो, हम जो खेल खेलते हैं, वह सबको खुश करने के लिए होना चाहिए, न कि किसी को परेशान करने के लिए। मोहन ने यह बात समझ ली। उसने माफी मांगी और कहा, आगे से मैं ध्यान रखूंगा कि किसी को भी मेरी आवाज से तकलीफ न हो। फिर दोनों ने शांति से बैठकर एक और नया खेल बनाया, जिसमें वे संगीत के अलग-अलग स्वर बनाते और गाने गाते। इस बार दोनों को बहुत मजा आया और कोई भी परेशान नहीं हुआ। शिक्षा-हर काम में हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे कार्यों से दूसरों को कोई परेशानी न हो। खुशी बांटने से ही खेल और जिंदगी का असली मजा आता है।
–हंशित माधवानी, उम्र-7साल
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. जन्मदिन का जश्न
यह एक उपवन का दृश्य है जहां पर भाई-बहन खेल रहे हंै। बहन आशी का जन्मदिन है । वैसे तो पापा जी ने बोला था कि बिटिया का जन्मदिन रात को एक अच्छे से रेस्टोरेंट में जाकर, केक काटकर और वहां पर खाना खाकर मनाएंगे परंतु आशी का भाई हार्दिक माना नहीं। उससे शाम तक का इंतजार नही हुआ, वह चाहता था कि दोपहर के समय वे दोनों घर के पास वाले बगीचे में जाकर एक-दूसरे को चॉकलेट खिलाकर मुंह मीठा करें और जन्मदिन का जश्न मनाएं ।
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. जन्मदिन का जश्न
यह एक उपवन का दृश्य है जहां पर भाई-बहन खेल रहे हंै। बहन आशी का जन्मदिन है । वैसे तो पापा जी ने बोला था कि बिटिया का जन्मदिन रात को एक अच्छे से रेस्टोरेंट में जाकर, केक काटकर और वहां पर खाना खाकर मनाएंगे परंतु आशी का भाई हार्दिक माना नहीं। उससे शाम तक का इंतजार नही हुआ, वह चाहता था कि दोपहर के समय वे दोनों घर के पास वाले बगीचे में जाकर एक-दूसरे को चॉकलेट खिलाकर मुंह मीठा करें और जन्मदिन का जश्न मनाएं ।
हार्दिक ये सिर्फ इसलिए चाहता था क्योंकि उसने अपने हाथों से आशी के लिए एक तोहफा बनाया था और वह उसे अकेले में देना चाहता था । उसके बाद हार्दिक ने उसकी मां प्रीति से बगीचे में जाने की इजाजत मांगी। फिर कुछ ही देर बाद वे दोनों बगीचे में चले गए । आशी को जरा भी नहीं पता था कि उसके भाई ने उसके लिए अपने हाथों से दिन रात मेहनत करके एक तोहफा तैयार किया है। जैसे ही वो बगीचे में प्रवेश करने जा रहे थे, उसी समय हार्दिक जोर से भागकर बगीचे के प्रवेश दरवाजे के पीछे जाकर छुप गया, जैसे ही आशी ने बगीचे के अंदर अपना कदम रखा और फिर हार्दिक ने बहुत ही जोरों-शोरों से आशी का स्वागत किया । फिर हार्दिक ने आशी को तोहफा दिया, उसे देखकर तो मानो आशी झूम उठी। तोहफा था एक रोबोट जो हार्दिक ने बनाया था । उसके बाद दोनों ने एक दूसरे को चॉकलेट खिलाकर मुंह मीठा किया। दोनों ने खूब मस्ती की।
– हार्दिक पूर्बिया, उम्र-11साल
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. एक अनोखी दोस्ती
एक बार की बात है, राधा और मयंक नाम के दो बच्चे एक छोटे से गांव में रहते थे। राधा शांत और शर्मीली थी, जबकि मयंक हमेशा शरारतों में लगा रहता था। एक दिन मयंक के हाथ में एक खिलौना ट्रंपेट था। उसने सोचा, चलो राधा को छेड़ते हैं। मयंक ने जोर से ट्रंपेट बजाया, जिससे राधा अपने कान बंद कर मुस्कु राने लगी। राधा ने मयंक की हरकत को मजाक में लिया और दोनों हंसने लगे। उस दिन के बाद से दोनों की दोस्ती और गहरी हो गई।
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. एक अनोखी दोस्ती
एक बार की बात है, राधा और मयंक नाम के दो बच्चे एक छोटे से गांव में रहते थे। राधा शांत और शर्मीली थी, जबकि मयंक हमेशा शरारतों में लगा रहता था। एक दिन मयंक के हाथ में एक खिलौना ट्रंपेट था। उसने सोचा, चलो राधा को छेड़ते हैं। मयंक ने जोर से ट्रंपेट बजाया, जिससे राधा अपने कान बंद कर मुस्कु राने लगी। राधा ने मयंक की हरकत को मजाक में लिया और दोनों हंसने लगे। उस दिन के बाद से दोनों की दोस्ती और गहरी हो गई।
मयंक ने राधा को अपनी तरह निडर बनाना सिखाया और राधा ने मयंक को शरारतों के बीच दूसरों की भावनाओं का खयाल रखना सिखाया। एक दिन स्कूल में एक प्रतियोगिता हुई। जिसमें बच्चों को अपनी सबसे अनोखी दोस्ती की कहानी सुनानी थी। मयंक और राधा ने अपनी कहानी सुनाई कि कैसे वे एक-दूसरे के पूरक बन गए। उनकी कहानी ने सबका दिल जीत लिया और उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला। यह कहानी इस बात का सबूत है कि सच्ची दोस्ती में एक-दूसरे की खामियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारने का प्रयास किया जाता है। इस तरह राधा और मयंक की दोस्ती सभी के लिए प्रेरणा बन गई।
–वैदेही राठौड़, उम्र-10साल
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. टोकरी की चीजें
एक लड़का और लड़की हरे-भरे घास के मैदान में खेल रहे थे। लड़की ने अपनी दोनों हाथों से अपने कानों को बंद किया था क्योंकि लड़का सामने खड़ा था और तेज आवाज में शहनाई बजा रहा था। उसकी आवाज इतनी जोरदार थी कि लड़की को परेशानी हो रही थी, लेकिन वह हंसते हुए लड़के को देखकर उसकी शरारत को नजरअंदाज कर रही थी।
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. टोकरी की चीजें
एक लड़का और लड़की हरे-भरे घास के मैदान में खेल रहे थे। लड़की ने अपनी दोनों हाथों से अपने कानों को बंद किया था क्योंकि लड़का सामने खड़ा था और तेज आवाज में शहनाई बजा रहा था। उसकी आवाज इतनी जोरदार थी कि लड़की को परेशानी हो रही थी, लेकिन वह हंसते हुए लड़के को देखकर उसकी शरारत को नजरअंदाज कर रही थी।
लड़का जो हरे रंग की टोप पहनकर खड़ा था, खुश था क्योंकि वह अपनी शहनाई की धुन बजाकर सभी को खुश करने की कोशिश कर रहा था। उसके पास एक छोटी सी टोकरी थी जिसमें खेलने की चीजें और कु छ टॉफियां रखी थीं। सूरज की हल्की रोशनी और बादलों के बीच दो दोस्त बिना किसी चिंता के हंसते-खेलते समय बिता रहे थे। लड़का और लड़की दोनों जानते थे कि जिंदगी में थोड़ी मस्ती और हंसी जरूरी है और वे इस पल को पूरी तरह से जी रहे थे।
–मयंक पाल, उम्र-10साल
………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………… स्वीटी का जन्मदिन
एक बार दो दोस्त थे। एक का नाम स्वीटी था और एक का नाम आदित्य था। जब स्वीटी का जन्मदिन आया तो दोनों ने कहीं पिकनिक पर जाने का सोचा। दोनों मित्र राजस्थान के रहने वाले थे। दोनों ने एक पहाड़ पर चढऩे का निश्चय किया। उन दोनों ने अपने घर के पास वाले पहाड़ को ही चुना।
………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………… स्वीटी का जन्मदिन
एक बार दो दोस्त थे। एक का नाम स्वीटी था और एक का नाम आदित्य था। जब स्वीटी का जन्मदिन आया तो दोनों ने कहीं पिकनिक पर जाने का सोचा। दोनों मित्र राजस्थान के रहने वाले थे। दोनों ने एक पहाड़ पर चढऩे का निश्चय किया। उन दोनों ने अपने घर के पास वाले पहाड़ को ही चुना।
उन्होंने जन्मदिन मनाने के लिए पहाड़ पर जाने के लिए अपने माता-पिता की अनुमति ली और उसके बाद उन्होंने जन्म दिन मनाने के लिए पुरानी टोपी, पटाखे, आवाज करने की चीज अपने साथ ले गए। ताकि पैसों की बचत हो सके। वे अपना सामान बांध कर सो गए। अगले दिन वे दोनों पहाड़ पर चढ़ गए। मौसम सुहाना था। पहाड़ पर दोनों ने अपना सामान खोला और साथ में उन्होंने सामान वाला डिब्बा भी खोला, जिसमें पार्टी का सामान रखा था। दोनों ने जन्मदिन वाली टोपी पहनी। फिर दोनों ने चॉकलेट खाई, शोर मचाया और खूब आनंद किया। फिर दोनों ने खाना खाया और वापस घर लौट आए।
–दक्ष गुप्ता, उम्र-13साल