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किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 10 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

परिवार परिशिष्ट (11 दिसंबर 2024) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 10 में भेजी गई कहानियों में कोशिन सुथार, शिवांगी प्रजापति और इशिका मीना क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं।

जयपुरDec 19, 2024 / 10:09 am

sangita chaturvedi

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 10 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

परिवार परिशिष्ट (11 दिसंबर 2024) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 10 में भेजी गई कहानियों में कोशिन सुथार, शिवांगी प्रजापति और इशिका मीना क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं। …………………………………………………………………………………………………………………………………….

बुलंद हौसला
एक बार, दो दोस्त, राहुल और आकाश अपनी छुट्टियों में कु छ अलग करने का मन बनाते हैं। वे पहाड़ चढऩे का फैसला करते हैं। वे एक खड़ी चट्टान को चुनते हैं, जो चुनौतीपूर्ण लेकिन रोमांचक है। शुरुआत में वे उत्साहित थे और आसानी से चढ़ रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे वे ऊपर चढ़ते गए, चट्टान अधिक खड़ी और कठिन होती गई। राहुल ने आकाश से कहा, मुझे डर लग रहा है। क्या हमें वापस जाना चाहिए? आकाश ने कहा, नहीं, हमने शुरू कर दिया है, तो हमें पूरा करना ही होगा। थोड़ा सा डर तो होना ही चाहिए, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। राहुल ने गहरी सांस ली और फिर से चढऩे लगा।
आकाश ने उसे प्रोत्साहित किया, तुम कर सकते हो, राहुल! बस एक कदम एक बार में उठाओ। धीरे-धीरे वे चोटी के करीब पहुंच गए। जब चोटी पर पहुंचे, तो उन्हें एक अद्भुत दृश्य दिखाई दिया। पूरा शहर उनके सामने फैला हुआ था। सब कुछ बहुत सुंदर दिखाई दे रहा था। वे इतने खुश थे कि उन्होंने अपनी जीत का जश्न मनाया। इस यात्रा से राहुल और आकाश ने एक महत्त्वपूर्ण सबक सीखा- डर को हराने के लिए, हमें दृढ़ संकल्प और दृढ़ता की जरूरत होती है। जब हम चुनौतियों का सामना करते हैं, तो हमें हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि दृढ़ रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।
कोशिन सुथार, उम्र-9वर्ष
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प्रकृति ने मन मोह लिया
एक बार की बात है एक शहर में दो पक्के दोस्त रहते थे। सौरभ और अक्षत दोनों आस-पास ही रहते और एक ही विद्यालय में पढ़ते थे। दोनों की सर्दियों की छुट्टियां शुरू हो गई थीं। दोनो घर में बैठे-बैठे ऊब जाते, तो उन्होंने एक दिन सोचा कि उन दोनों के घर के पास वाली पहाड़ी पर चलते हैं। तो अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर तैयार होकर दोनों निकल गए। दोनों को रास्ते भर चिडिय़ों की चहकने की आवाज आती रही और खूब सारे मोर भी दिखे।
पहाड़ी पर जाने के लिए उन्होंने अपने साथ खाना और पानी भी रख लिया था। वह दोनों बहुत जोश और हिम्मत से चलते चलते आखिरकार पहाड़ी के ऊपर पहुंच ही गए। उन्होंने वहां खूब मस्ती की और पहाड़ी से पूरे शहर का खूबसूरत नजारा भी देखा। दोनों का मन प्रकृति ने मोह लिया था। वाकई प्रकृति के बीच रहकर ताजगी का एहसास होता है। वास्तविकता में खुशी मिलती है। हमें इसे संवारना चाहिए।
शिवांगी प्रजापति, उम्र-12वर्ष
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मेहनत से मिली जीत
अनमोल और समीर दो किशोर भाई बचपन से ही साहसिक यात्राओं के शौकीन थे। एक दिन उन्होंने तय किया कि वे पास के पहाड़ की चोटी तक जाएंगे। उन्होंने अपने कंधों पर बैग लटकाए, जिसमें पानी की बोतल, कु छ खाना और जरूरी सामान रखा था। वे सूरज उगने से पहले ही निकल पड़े। पहाड़ की चढ़ाई आसान नहीं थी। रास्ता पथरीला और ऊबड़-खाबड़ था। अनमोल, जो बड़ा और अनुभवी था, आगे-आगे चल रहा था, जबकि समीर उसके पीछे था। अनमोल के हाथ में एक मजबूत डंडा था, जो उसे संतुलन बनाए रखने में मदद कर रहा था।
समीर उसकी हर बात ध्यान से सुनता और कदम-कदम पर सतर्क रहता। चलते-चलते उन्हें रास्ते में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। एक जगह बड़े-बड़े पत्थरों को पार करना पड़ा, तो दूसरी जगह घनी झाडिय़ों के बीच से गुजरना पड़ा। दोनों ने साथ मिलकर एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए हर मुश्किल को पार किया। जब वे पहाड़ की चोटी पर पहुंचे, तो सूरज की सुनहरी किरणों से पूरा इलाका चमक रहा था। वहां से नजारा देखते ही उनकी सारी थकान दूर हो गई। समीर ने कहा, भैया, यह यात्रा हमारी सबसे यादगार होगी। अनमोल मुस्कुराते हुए बोला, मेहनत से मिली जीत का मजा ही कुछ और होता है।
इशिका मीना, उम्र-13वर्ष
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दो भाइयों की वीरता
कश्मीर के एक गांव में दो भाई अर्जुन और करण रहते थे। उनका गांव भारत-पाकिस्तान सीमा के पास था। दोनों भाई अपनी मातृभूमि से बेहद प्रेम करते थे और हर परिस्थिति में अपने देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते थे। एक दिन अर्जुन और करण ने देखा कि पाकिस्तान की सेना उनकी सीमा में घुसपैठ कर रही है और उनके इलाके में कैंप बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बिना देर किए इस स्थिति को गंभीरता से लिया। सबसे पहले दोनों ने भारतीय सेना को इसकी सूचना दी और तुरंत गांव के अन्य लोगों को सतर्क किया। परंतु वे यहीं नहीं रुके। अपने देशप्रेम और साहस के चलते, उन्होंने स्वयं पाकिस्तान की सेना का सामना करने का निश्चय किया। बिना किसी हथियार के केवल अपनी चतुराई और हिम्मत के बल पर दोनों भाई घने जंगलों की ओर बढ़े जहां दुश्मन ने डेरा जमाया था।
रात के अंधेरे में उन्होंने दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखी और उनके प्लान को समझने की कोशिश की। अर्जुन ने चुपके से दुश्मन के हथियारों को नष्ट कर दिया, जबकि करण ने सेना के मुख्य अधिकारियों के कैंप में गड़बड़ी फैलाकर उनकी रणनीति को विफल कर दिया। इस बीच भारतीय सेना भी मौके पर पहुंच गई और दुश्मनों पर हमला बोल दिया। अर्जुन और करण की सूझबूझ और बहादुरी के कारण भारतीय सेना को बड़ी जीत हासिल हुई। गांव के लोग दोनों भाइयों की वीरता देखकर गर्व से भर गए। उनके साहस और देशप्रेम की कहानी हर तरफ फैल गई। सरकार ने उन्हें सम्मानित किया और वे सभी के लिए प्रेरणा बन गए।
अतिक्ष बिस्वास, उम्र-9वर्ष
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यादगार सफर
सूरज ढलने को था। गंगा किनारे छोटे से गांव में शाम की लहरें हवा में एक मिठास घोल रही थीं। नेहा और रोहन बचपन के दोस्त आज पहली बार गांव के पास वाली बड़ी चट्टान पर जाने का प्लान बना रहे थे। नेहा, तुमने सुना है कि उस चट्टान से पूरा गांव कितना सुंदर दिखता है? रोहन ने उत्साह से पूछा। ‘सुना है, पर थोड़ा डर भी लगता है। वहां तक जाना आसान नहीं होगा, नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। दोनों ने अपने बैग में पानी की बोतल, टॉर्च और कुछ स्नैक्स रखे और चल दिए। रास्ता पथरीला था और जंगल के बीच से होकर गुजरता था।
पंछियों की चहचाहट और झरने की मधुर ध्वनि रास्ते को और रोमांचक बना रही थी। थोड़ी देर बाद उन्होंने एक पगडंडी पर कदम रखा, जो सीधे चट्टान की ओर जाती थी। नेहा ने कहा, रोहन, यह रास्ता थोड़ा खतरनाक लग रहा है। घबराओ मत, मैं हूं न। बस मेरे पीछे-पीछे चलो, रोहन ने उसे हिम्मत दी। थोड़ी मेहनत के बाद, वे चट्टान पर पहुंच गए। वहां का दृश्य देखकर नेहा की आंखें चमक उठीं। सूरज गंगा के पानी में ढल रहा था और पूरा गांव सुनहरी रोशनी से नहाया हुआ था। वाह, रोहन! यह जगह तो सच में जादुई है, नेहा ने कहा। रोहन ने उसकी ओर देखकर कहा, नेहा, मैं हमेशा से चाहता था कि यह खास जगह तुम्हारे साथ देखूं। यह सफर हमेशा याद रहेगा।
-मोनू, उम्र-12वर्ष
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पहाड़ों की ऊंचाई
हवा में ताजगी थी। सूरज की किरणें धीरे-धीरे पहाड़ की चोटी को छू रही थीं। एक गोल और हरे रंग की पहाड़ी, जिसके ऊपर से बादल की परछाई बिखर रही थी। एक छोटी सी पगडंडी थी, जो पहाड़ी की चोटी तक जाती थी। दो दोस्त आर्यन और सिया ने फैसला किया कि वे इस पहाड़ पर चढ़ेंगे। दोनों बहुत उत्सुक थे। आर्यन ने कहा, सिया चलो यहां से पूरे गांव का नजारा देखने का मजा ही कुछ और है। सिया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, हां, मैं भी इंतजार नहीं कर पा रही। चलो पहाड़ी पर जोश के साथ चलते हैं। वे दोनों चलते-चलते पहाड़ी की ओर बढ़ रहे थे।
रास्ते में उन्होंने कई सुंदर फूल देखे। सिया ने एक फूल उठाया और कहा, देखो, यह कितना सुंदर है। इसे मैं अपनी स्कैच बुक में बनाऊंगी। थोड़ी देर चलने के बाद वे दोनों बैठ गए और वहां का आनंद लेते रहे। आर्यन ने कहा, तुम्हें याद है जब हम पहली बार यहां आए थे। तब हमें कितना मजा आया था? सिया ने हंसते हुए कहा, हां और तुमने मेरे पैरों में कांटे चुभा दिए थे। फिर वे वापस चढऩे लगे। आखिरकार पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए। यहां का नजारा अद्भुत था। यह अनुभव उनके लिए खास था। दोनों बहुत खुश थे प्रकृति के विविध रंग देखकर।
रिया सिसोदिया, उम्र-13वर्ष
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दो दोस्त
दो दोस्त थे। दोनों ने एक दिन घर से कु छ दूरी पर स्थित एक पहाड़ पर चढऩे का प्लान किया। पहले दोस्त ने इसके लिए उपयोगी सामान की लिस्ट तैयार की और वह लिस्ट अपने दोस्त को भी दे दी। दोनों ने सुबह 6 बजे पहाड़ी के नीचे एक जगह पर मिलने का तय किया। तय समय पर दोनों वहां पहुंच गए और रास्ते के लिए दोनों दोस्त लिस्ट के अनुसार अपने-अपने उपयोगी सामान का बैग, टोपी और ऊंचे जूते ले आए थे।
फिर उन्होंने चढऩा शुरू किया। पहला दोस्त लकड़ी का डंडा लेकर आगे चलने लगा। शुरुआत में तो दोनों दोस्त मजे से चल रहे थे, लेकिन थोड़ी देर बाद पीछे वाले दोस्त को थकान होने लगी और चढ़ते हुए वह बार-बार बैठने लगा। तब पहले दोस्त ने उसे बताया कि मेरे मम्मी पापा ने मेरे साथ बैठकर लिस्ट बनवाई और लिस्ट में लकड़ी का डंडा जरूर ले जाने को कहा। लेकिन तुम डंडा नहीं लाए और तभी तुमको चढऩे में परेशानी हो रही है। फिर उसने चढऩे में अपने दोस्त की मदद की और दोनों चोटी पर पहुंच गए। कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा बड़ों की सलाह मान लेनी चाहिए।
देवर्ष खत्री, उम्र-7वर्ष
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साहसिक सफर
अमित और अनुज अच्छे दोस्त थे। वे रोमांच के शौकीन थे। अपना सप्ताहांत अपने छोटे से शहर के बाहरी इलाकों में घूमते हुए बिताते थे। एक दिन उन्हें अनुज के दादा के घर की अटारी में छिपा हुआ एक पुराना फटा हुआ नक्शा मिला। नक्शे में एक छिपे हुए रास्ते को दर्शाया गया था, जो एक प्रसिद्ध झरने की ओर जाता था, जिसके बारे में कहा जाता था कि उसमें जादुई शक्तियां हैं। उन दोस्तों की आंखें उत्साह से चमक उठीं और उन्होंने निर्णय लिया कि वे वहां जाएंगे।
अगली सुबह नाश्ते, पानी और अपने भरोसेमंद कम्पास से भरे बैग लेकर अमित और अनुज अपनी खोज पर निकल पड़े। रास्ता बहुत ऊंचा और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प नहीं डगमगाया। जैसे ही सूरज ढलने लगा, वे एक खुले स्थान पर पहुंचे, और उनका दिल बैठ गया। रास्ता गायब हो गया था। जैसे ही वे हार मानने वाले थे। अमित ने एक हल्की सी चमक देखी। वे उसकी ओर दौड़े और उनकी आंखें विस्मय से चौड़ी हो गईं। झरना एक ऊंची चट्टान से गिर रहा था, जिसका पानी ढलती धूप में हीरे की तरह चमक रहा था। अमित और अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जैसे ही चांद आसमान में चमकने लगा, उन्होंने आग जलाई और मजे किए। अगली सुबह वे वापस नीचे आए। यह उनके जीवन की सबसे प्यारी और साहसिक यात्रा थी।
प्रिया शर्मा, उम्र-12वर्ष
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बुलंद हौसले
अर्जुन और अखिल दो दोस्त थे, जो एक खड़ी पहाड़ी रास्ते पर चढ़ रहे थे। सूरज की तेज धूप उनके ऊपर पड़ रही थी और उनके बैग सामान से भरे हुए थे, लेकिन उनके हौसले बुलंद थे। अर्जुन जो हमेशा आशावादी रहता था, ने चोटी की ओर इशारा किया और कहा, थोड़ा और चलो, अखिल ! हम लगभग वहां पहुंच गए हैं! अखिल ने थका हुआ होने के बावजूद सहमति में सिर हिलाया। ‘तुम सही हो अर्जुन। ऊपर से नजारा देखने लायक होगा।
वे चढ़ाई जारी रखे हुए थे, उनके कदमों की आवाज शांत जंगल में गूंज रही थी। हवा ताजगी भरी और ठंडी थी। जब वे चोटी पर पहुंचे, तो वहां का नजारा लुभावना था। घाटी उनके सामने फैली हुई थी, हरे-भरे खेतों और घुमावदार नदियों का एक पैचवर्क । वे मीलों दूर तक देख सकते थे और उपलब्धि की भावना बहुत अधिक थी। हमने कर लिया! अर्जुन खुशी से चिल्लाया। अखिल मुस्कुराया, उसकी आंखें चमक रही थीं। हमने कर लिया, अर्जुन। हमने कर लिया। वे एक बड़ी चट्टान पर बैठ गए और दृश्य की सुंदरता का आनंद लिया। उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में बात की, कहानियां साझा कीं और हंसी। जब सूरज डूबने लगा तो उन्हें पता था कि पहाड़ से नीचे उतरने का समय हो गया है। वापसी की चढ़ाई उतनी ही चुनौतीपूर्ण थी जितनी चढ़ाई थी, लेकिन उन्होंने नई ऊर्जा के साथ इसका सामना किया। वे जानते थे कि उन्होंने पहाड़ को एक साथ जीत लिया है और उनकी दोस्ती पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई है।
गाम्या मील, उम्र-8वर्ष
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दोस्तों का पर्वतारोहण
अमन और रोहन दो घनिष्ठ मित्र पहाड़ों पर ट्रैकिंग करने गए। दोनों का सपना था ऊंची-ऊंची चोटियों पर चढ़ाई करना और प्रकृ ति की सुंदरता को निहारना। एक दिन वे पहाड़ की कठिन चढ़ाई पर निकल पड़े। अमन ने आगे बढ़ते हुए कहा, ‘रोहन ध्यान से चलना। यहां पत्थर फिसलन भरे हैं। रोहन ने जवाब दिया, ‘हां अमन, मैं संभल कर चल रहा हूं। तुम्हारे पीछे ही हूं। उनके पास पानी की बोतल, खाना और एक नक्शा था। रास्ते में उन्होंने कई सुंदर झरने और घने पेड़ों के बीच पक्षियों की चहचाहट सुनी। वे हर पल का आनंद ले रहे थे।
अचानक रोहन का पैर एक पत्थर पर फिसल गया। वह गिरने ही वाला था कि अमन ने तुरंत अपनी छड़ी बढ़ाकर उसे थाम लिया। रोहन ने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘धन्यवाद, दोस्त! अगर तुम न होते, तो मैं गिर ही जाता। अमन मुस्कुराते हुए बोला, ‘हम दोस्त हैं, एक-दूसरे की मदद करना तो हमारा कर्तव्य है। इस घटना के बाद वे और सतर्क होकर आगे बढ़े। अंत में उन्होंने चोटी पर पहुंचकर सफलता का आनंद लिया। नीचे फैली हरियाली और सूरज की सुनहरी किरणों ने उनकी मेहनत को सार्थक बना दिया। यह यात्रा न केवल उनके लिए रोमांचक थी, बल्कि उनकी दोस्ती को भी और मजबूत कर गई।
कृतिका सिंह शेखावत, उम्र-12वर्ष

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