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खादी केवल कपड़ा नहीं बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और भारतीय स्वाभिमान

Khadi cloth campaign in Katni

कटनीAug 12, 2024 / 08:42 pm

balmeek pandey

Sub-divisional officer, city superintendent of police and deputy tehsildar said that they will celebrate Independence Day with Khadi clothes

Sub-divisional officer, city superintendent of police and deputy tehsildar said that they will celebrate Independence Day with Khadi clothes

कटनी. ‘एक दिन देश के नाम खादी अभियान’ शहर जिले में जोर पकड़ रहा है। हर आम से लेकर खास तक पत्रिका की इस मुहिम से मुक्तकंठ जे जुड़ रहे हैं। अफसर से लेकर संगठनों के लोग अभियान से जुड़ते जा रहे हैं। आजादी के महापर्व स्वतंत्रता दिवस को और खास बनाने के लिए उस दिन खादी के कपड़ेे पहनकर स्वदेश व राष्ट्रप्रेम की भावना को और प्रबल करने का संकल्प ले रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर खादी पहनना न केवल हमारी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान है, बल्कि यह हमारे अंदर राष्ट्रप्रेम और आत्मनिर्भरता की भावना को भी मजबूत करता है। इस स्वतंत्रता दिवस पर खादी को अपनाकर, देश की शान को और बढ़ाएं। अधिकारियों ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, खादी का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है। खादी, जो महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन का एक प्रमुख प्रतीक रही है, आज भी देशभक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक मानी जाती है। खादी न केवल एक कपड़ा है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और भारतीय स्वाभिमान का प्रतीक भी है।
खादी इसलिए है खास
स्वदेशी उत्पादन का समर्थन: खादी पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे स्थानीय कारीगरों द्वारा हाथ से बुना जाता है। प्राकृतिक कपड़ा है, जिसे तैयार करने में किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता। यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित और टिकाऊ है। गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म होते हैं, जिससे यह सभी मौसमों में पहनने के लिए उपयुक्त है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान खादी को महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार के रूप में अपनाया था। खादी पहनना एक तरह से उन संघर्षशील दिनों को याद करना और आजादी के लिए हमारे पूर्वजों के बलिदानों को सम्मानित करना है।
पहनेंगे खादी के कपड़े, स्टाफ को करेंगे प्रेरित
खादी के कपड़ों को बढ़ावा देने के लिए एसडीएम प्रदीप मिश्रा ने कहा कि इस बार वे स्वयं खादी के वस्त्र पहनेंगे और अपने पूरे स्टॉफ को भी खादी पहनने के लिए प्रेरित करेंगे। यह हमारी आजादी की लड़ाई का प्रतीक है। इसे पहनकर हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देते हैं और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम और बढ़ाते हैं। इससे भारतीय कारीगरों और स्थानीय उद्योगों को समर्थन मिलता है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है।
खादी देश की शान, हम जरूर पहनेंगे खादी के कपड़े
खादी देश की शान है, और हम इस शान को बनाए रखने के लिए स्वतंत्रता दिवस पर खादी के कपड़े जरूर पहनेंगे। खादी न केवल हमारे स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे राष्ट्रप्रेम और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। यह बात नगर पुलिस अधीक्षक ख्याति मिश्रा ने कही है। उन्होंने कहा कि पत्रिका द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रप्रेम के लिए आवाहन है। खादी पहनना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह हमारे देश के प्रति हमारे समर्पण और सम्मान का प्रतीक है। खादी का उपयोग समाज और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
हम अवश्य पहनेंगे स्वतंत्रता दिवस पर खादी के कपड़े
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर खादी को प्रोत्साहित करने के लिए नायब तहसीलदार आकाशदीप नामदेव ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा पत्रिका अखबार की पहल सराहनीय है। हम इस स्वतंत्रता दिवस पर खादी के कपड़े अवश्य पहनेंगे। खादी हमारे देश की पहचान है और इसे पहनने से न केवल हम अपने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को सम्मानित करते हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी योगदान देते हैं। खादी देश की विरासत को जीवित रखना आवश्यक है। न केवल फैशन स्टेटमेंट है, बल्कि यह हमारे समाज, कारीगरों और हमारे पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है।
खादी हमारे देश की आन-बान-शान
जीआरपी टीआई अरुणा वाहने ने कहा कि खादी के कपड़े स्वदेशी होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल और आरामदायक होते हैं, जो किसी भी मौसम में पहनने के लिए उपयुक्त हैं। इस कदम से न केवल प्रशासनिक कर्मचारियों में, बल्कि आम जनता में भी खादी के प्रति जागरुकता आएगी। अगर हर व्यक्ति खादी को अपनी दिनचर्या में शामिल करता है, तो यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकता है। खादी हमारे देश की आन-बान व शान का भी प्रतीक है।

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