सरकार ने सोमवार को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (इपीए), 1986 की धारा 5 के तहत अपनी अधिसूचना में संशोधन जारी किया। इसके तहत अब पतंग उड़ाने के लिए केवल सूती धागे का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी। ये धागे किसी भी नुकीले, धातु या कांच के घटक, चिपकने वाले पदार्थ या धागे को मजबूत करने वाली किसी भी अन्य सामग्री से मुक्त होंगे।पहले प्रतिबंध केवल नायलॉन चीनी मांझे तक सीमित था, अब इसमें कांच या धातु के पाउडर से लिपटे धागे भी शामिल हैं। चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा की सरकारों द्वारा पहले भी इसी तरह के निर्देशों के साथ अधिसूचनाएं जारी की जा चुकी हैं।
पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया ने जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि कर्नाटक सरकार द्वारा यह संशोधन पेटा इंडिया Peta India की अपील के बाद किया गया है, जिसमें मांझे के कारण होने वाली पक्षियों और मनुष्यों की मौतों को संबोधित किया गया।पेटा इंडिया के वरिष्ठ अधिवक्ता अधिकारी फरहत उल ऐन ने कहा, हम सराहना करते हैं कि कर्नाटक सरकार नेे नायलॉन मांजे के अलावा कांच और धातु से मजबूत पतंग के मांजे से उत्पन्न खतरों को संबोधित किया। यह निर्णायक कार्रवाई अनगिनत मनुष्यों और जानवरों को बचाएगी। इनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय गिद्ध भी शामिल हैं। गिद्ध अक्सर इन खतरनाक मांजों से अपंग हो जाते हैं।
मांजे के कारण इस वर्ष देश भर में अनेक मौतें दर्ज की गई हैं। महाराष्ट्र में 21 वर्षीय एक व्यक्ति, गुजरात में चार लोग, मध्य प्रदेश में एक युवा लडक़ा और राजस्थान में एक 12 वर्षीय लडक़े की गर्दन घातक धागे से कटने से मौत हुई।