18 दिन में सूखती है प्रतिमा, 30 दिन में होती है पूरी युवा रक्षित बताते हैं कि गोबर से बनी प्रतिमा को बनाने में तकरीबन 30 दिन का समय लग जाता है। इसे सूखने में ही 18 दिन लगते हैं। सूखने के बाद प्रतिमा में कई दरारें पड़ जाती हैं। इसे भरने और शृंगार करने में शेष दिन लग जाते हैं।
बरसों तक इन प्रतिमाओं में नहीं आती खराबी रक्षित बताते हैं कि हवादार स्थान पर इन प्रतिमाओं को रखा जाए और पानी से बचाया जाए तो दन प्रतिमाओं को कुछ नहीं होता। बरसों तक इन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है और पूजन किया जा सकता है। पर्यावरण सुरक्षा में अहम भूमिका रक्षित बताते हैं कि गोबर से बनी प्रतिमा ईको फ्रेंडली है, यदि पानी में इनका विसर्जन किया जाए तो ये पानी को दूषित नहीं करती हैं। बल्कि कुछ समय पश्चात घुल जाती हैं।
ऐसे शुरू हुआ सिलसिला वे बताते हैं कि एक परिजन से चर्चा के बाद अहसास हुआ कि पूजन सामग्री आदि को गाय के गोबर से बनानी चाहिए। इसके बाद उन्होंने गोबर से प्रतिमा बनाना शुरू किया।
इनसे बनाते हैं गोबर की प्रतिमा – गाय का गोबर – मैदा – लकड़ी का बुरादा – डिस्टेंम्पर – शृंगार का सामाना