शुरू में, स्थानीय लोगों ने ध्वस्तीकरण अभियान का विरोध किया। संरचनाओं के मालिकों ने दावा किया कि उन्हें पहले से ही बेदखली का नोटिस नहीं दिया गया था और उन्हें अपना सामान हटाने का समय नहीं मिला। एक मालिक ने कहा, हमें 24 अक्टूबर को बेदखली का नोटिस दे सारा सामान हटाने के लिए गया गया।
लोगों ने स्थानीय विधायक एच. आर. गविप्पा पर भी ध्वस्तीकरण अभियान रोकने के लिए दबाव डाला। हालांकि, अधिकारियों ने निर्वाचित प्रतिनिधि को आश्वस्त किया कि यह अदालत के आदेशों की अवमानना होगी। एचडब्ल्यूएचएएमए आयुक्त रंगनाथ ने कहा कि हम्पी स्मारक क्षेत्र पर अतिक्रमण करने वाले तीन अनधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त किया गया है। स्मारकों के 100 मीटर के निषिद्ध क्षेत्र में कुछ और अवैध संरचनाएं हैं और इन इमारतों के मालिकों ने लिखित में दिया है कि वे 2-3 दिनों के भीतर स्वेच्छा से अतिक्रमण हटा देंगे।
रंगनाथ ने कहा कि न्यायालय के आदेशों के बाद एचडब्ल्यूएचएएमए के पास ध्वस्तीकरण अभियान चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। कर्नाटक उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय 2015 से हम्पी के विश्व धरोहर स्थलों में और उसके आसपास अनधिकृत संरचनाओं, होमस्टे और होटलों को हटाने के लिए निर्देश जारी कर रहे हैं। जनता प्लॉट में अतिक्रमित भूमि भी उच्च न्यायालय के आदेशों का हिस्सा थी, जिसे अधिकारियों द्वारा हटाया जाना था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ), हम्पी सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद् निखिल दास ने कहा, एएसआइ के पास अतिक्रमण हटाने का अधिकार नहीं है। हमने अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को कई बार प्रतिनिधित्व किया है। हमने पिछले कई वर्षों में अतिक्रमणकारियों को नोटिस और एफआइआर की प्रतियां भी दी हैं।