पीड़ितों को लगाए 6 करोड़ के डॉग बाइट के इंजेक्शन इन कुत्तों के हमलों से आमजन से प्रभावित हो ही रहा है। दूसरी ओर, सरकार और चिकित्सा विभाग पर भी आर्थिक बोझ बढ़ा है। विभाग की मानें तो वर्ष 2020 जनवरी से लेकर जुलाई 2024 के बीच तकरीबन 6 करोड़ 35 लाख 73 हजार 539 रुपए की लागत के डॉग बाइट के इंजेक्शन जिले में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत उपयोग के लिए भेजे गए। इनमें डॉग बाइट में काम आने वाले दोनों प्रकार के इंजेक्शन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अन्य चिकित्सकीय संसाधनों का खर्च अलग।
जिले में इतने हुए शिकार वर्ष : कुत्तों के शिकार 2020 : 5412 2021 : 623 2022 : 6491 2023 : 7137 2024 : 5809 जुलाई तक वर्ष 2024 में एमजीएच में कराया उपचार
महीना : मरीजों की संख्या जनवरी : 255 फरवरी : 197 मार्च : 179 अप्रेल : 177 मई : 143 जून : 111 जुलाई : 130 अगस्त : 128
कुल : 1325 सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराए गए इंजेक्शन वर्ष : इंजेक्शन की संख्या 2020 : 26923 2021 : 25524 2022 : 36172 2023 : 29776 2024 : 23307
इन कारणों से कुत्ते होते हैं हमलावर
https://www.patrika.com/banswara-news/rajasthan-banswara-news-panther-attack-woman-and-girl-seriously-injured-referred-to-udaipur-18957267 1. स्वास्थ्य समस्या 2. डर या घबराहट 3. तनाव 4. प्राकृतिक प्रवृत्ति 5. आदत 6. सामाजिककरण की कमी (विशेषज्ञों के अनुसार )
एक्सपर्ट व्यू : गर्मी में असर ज्यादा शारीरिक बनावट के हिसाब से कुत्तों में गर्मी के दिनों में हमले की प्रवृत्ति ज्यादा होती है। बारिश के दिनों में चूंकि इनका प्रजनन का समय होता है तो ये अधिक संख्या में नजर आते हैं। लेकिन ये अपने झुंड में व्यस्त रहते हैं। लेकिन गर्मी के दिनों में इन्हें शारीरिक बनावट के चलते अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। मसलन इनमें पसीना नहीं निकल पाता है। इस कारण इनके शरीर का तापमान बढ़ता है। जिससे इन्हें परेशान होती है और उग्रता बढ़ती है। देखने में आया है कि कुत्तों की संख्या भी तेजी बढ़ी है। इनसे बचने के लिए स्वयं का सतर्क होना जरूरी है। इसलिए इनके पास अनावश्यक नहीं जाएं, इनके पास वाहनों को धीमी गति से निकालें। यह भी देखने में आता है कि पर्याप्त खाना न मिलने के कारण भी इनमें एग्रेसन बढ़ता है। और इस कारण ये मवेशियों और छोटे बच्चों पर भी हमला करने से नहीं चूकते हैं। मेल कुत्ते अधिक एग्रेसिव होते हैं। – डॉ. पंकज पांडेय, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पॉलीक्लीनिक , बांसवाड़ा