स्पष्ट नियमों की कमी चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तमाम प्रयासों के बावजूद रिक्त पदों को भरने में कई स्तर पर दिक्कत आ रही है। ज्यादातर चिकित्सक सरकारी की जगह निजी अस्पतालों में जाना पसंद करते हैं। भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और कार्य नैतिकता को परिभाषित करने वाले स्पष्ट नियमों की कमी ने समस्या और बढ़ा दी है।
दोहरी भूमिका ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों को अक्सर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और प्रशासकों की दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है। उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रबंधन के अतिरिक्त तनाव का भी सामना करना पड़ता है। इससे न केवल मरीज की देखभाल प्रभावित होती है, बल्कि चिकित्सक ग्रामीण क्षेत्रों में पद स्वीकार करने से भी हतोत्साहित होते हैं।
रुचि की कमी चिकित्सा पेशेवरों की रुचि की कमी ने अस्पतालों को अस्थाई रूप से रिक्तियों को भरने के लिए अल्पकालिक भर्ती का विकल्प चुनने के लिए मजबूर किया है, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली पर और अधिक दबाव पड़ रहा है।
वाणी विलास सरकारी अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि चिकित्सक अक्सर मरीजों को देखने के बाद रात की शिफ्ट में काम करते हैं। मरीजों की देखभाल में देरी होती है। इसकी वजह से मरीज शिकायत करते हैं कि चिकित्सक उनसे मिलने नहीं आते और पर्याप्त चक्कर नहीं लगाते हैं।