किसानों Farmer का कहना है कि वे मानसून आने से ठीक पहले खेती-बाड़ी का काम शुरू कर देते हैं। वे मानसून आने से पहले अपने खेतों की जुताई करते हैं और बारिश शुरू होने के तुरंत बाद बुवाई शुरू कर देते हैं।
सावधानी के बावजूद… किसान महादेवप्पा ने कहा, हम खेतों में घुसने से पहले अतिरिक्त सावधानी बरतते हैं। हम रेत जैसे छोटे-छोटे पत्थर बिछाते हैं, ताकि उन जगहों की पहचान हो सके, जहां कोई कीड़ा या सांप छिपा हो। अगर हमें कोई सांप दिखाई देता है, तो हम थोड़ी देर के लिए रुक जाते हैं और उसके चले जाने के बाद ही आगे बढ़ते हैं। बावजूद इसके
सांपों के हमले की संभावना हमेशा बनी रहती है।
किसान शरणगौड़ा पाटिल ने कहा, ऐसी घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। हम घर पर बैठकर सांप के काटने की आशंका नहीं कर सकते। किसानों को जलवायु परिवर्तन के अलावा सांप के काटने सहित सभी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। सरकार या संबंधित विभाग को किसानों के बीच सांप के काटने से निपटने और अपने जीवन की रक्षा करने के तरीके के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम. एस. पाटिल ने बताया कि जिले भर के प्रत्येक स्वास्थ्य सेवा केंद्र में सांप के जहर को रोकने वाले इंजेक्शन समेत जरूरी दवाएं पहुंचाई गई हैं। साथ ही चिकित्सकों को सलाह दी गई है कि वे सांप के काटने वाले मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के बाद जरूरत पडऩे पर बड़े शहरों के अस्पतालों में ले जाएं। पीडि़तों को भी चाहिए कि वे घबराएं नहीं।
डॉ. पाटिल ने सर्पदंश के पीड़ितों को पारंपरिक चिकित्सा उपचार का विकल्प न चुनने की सलाह देते हुए कहा कि पीड़ितों को बिना किसी देरी के निकटतम स्वास्थ्य देखभाल केंद्र में ले जाना चाहिए, ताकि चिकित्सक तत्काल उपचार शुरू कर सकें।
तीन माह में 34 मामले मानसून के दौरान और उसके बाद सांप के काटने के मामलों की संख्या में भारी वृद्धि होती है। 1 जनवरी, 2024 से 30 जून के बीच एक मौत सहित 28 ऐसे मामले सामने आए हैं। लेकिन 30 जून के ठीक बाद से 27 सितंबर तक यह आंकड़ा 34 बढ़कर 62 हो गया है। यादगीर शहरी स्थानीय निकाय सीमा में 23 मामले, शोरपुर तालुक में 25 और यादगीर तालुक में 12 मामले सामने आए हैं।