संसाधन बढ़ाने के लिए सहयोग
फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल के कल्सटर हेड, साउथ एशिया अंकुर मोदी ने बताया कि युवा मैनेजर्स आमतौर से यह दिखाना पसंद करते हैं कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से क्या करके दिखाया है। जैसे-जैसे उनका विकास होता चला जाता है, तो उन पर जिम्मेदारियां बढ़ती चली जाती हैं, और व्यक्तिवाद उनके विकास में बाधक बन जाता है। ज्यादातर पदों के लिए संसाधन अक्सर महत्वाकांक्षा में कभी मेल नहीं खाते। परिणाम देने की टाईमलाईन उपलब्ध संसाधनों के कारण सीमित हो जाती है। जोखिमों और बाहरी अस्थिरता का प्रबंधन करने में अनुभव की कमी हो सकती है। इस स्थिति में सहयोग बहुत आवश्यक हो जाता है। इससे संसाधन और विशेषज्ञता इतने बढ़ जाते हैं, जिन्हें मापा नहीं जा सकता है।
हमें सहयोगपूर्ण कौशलों के निर्माण के लिए सीखने का दृष्टिकोण विकसित करना होगा। जब आप काम करना शुरू करें, तो संगठन में ऐसे लोगों से संपर्क करें, जो मेंटर के रूप में आपकी क्षमता बढ़ा सकें। वो एक प्रत्यक्ष संसाधन बन जाते हैं, जो हमें विभिन्न परियोजनाओं में परिणाम देते हुए नए अनुभवों का निर्माण करने में मदद करते हैं। सहयोग का मतलब है किसी अन्य की परफॉर्मेंस बढ़ाने में मदद करना और अन्य लोगों की परफॉर्मेंस से सीखते हुए अपनी परफॉर्मेंस में सुधार करते जाना।
युवा मैनेजर्स के रूप में आपमें से हर एक व्यक्ति को सहानुभूति, सहयोग और समावेशिता के मूल्यों का विकास कर अपने करियर में आगे बढ़ने का अवसर मिलता है। इसलिए आज से ही इसकी शुरुआत करें तथा अपने काम और व्यक्तिगत जीवन में परिवर्तन महसूस करें। आपको उत्साहित और संतुष्ट अनुभव होगा। इन भावनाओं को केवल महसूस किया जा सकता है।