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उज्जैन

महाकाल मंदिर के 43 साल पुराने नियम में होगा बदलाव, सोमनाथ मंदिर जैसी होगी व्यवस्था

Mahakal temple: महाकाल मंदिर में दर्शन ठगी, गर्भगृह में आग लगने की हाल की घटनाओं को देखते हुए महाकाल मंदिर अधिनियम, 1982 में बदलाव करने का निर्णय लिया गया है।

उज्जैनJan 18, 2025 / 07:54 pm

Akash Dewani

change in the 43 year old rule of Mahakal temple
Mahakal temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। महाकाल मंदिर में दर्शन ठगी, गर्भगृह में आग लगने की हाल की घटनाओं को देखते हुए महाकाल मंदिर अधिनियम (Shri Mahakaleshwar Temple Act, 1982) में बदलाव करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उज्जैन धार्मिक न्यास एवं धार्मिक कार्य विभाग ने अधिनियम में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। बताया जा रहा है कि महाकाल मंदिर में गुजरात के सोमनाथ मंदिर जैसी व्यवस्था बनाई जाएगी। इस संशोधन के तहत सबसे बड़ा बदलाव अध्यक्ष के पद पर होने की उम्मीद है।

क्या होंगे बदलाव?

यह नया संशोधित नियम आने वाले दो महीने में लागू हो जाएगा। नए नियमों में मंदिर समिति में कर्मचारियों की नियुक्ति, प्रशासक की भूमिका और दर्शन व्यवस्था को लेकर बड़े बदलाव की बात कही गई है। इसमें सबसे बड़ा बदलाव समिति अध्यक्ष पद को लेकर हो सकता है। अभी महाकाल मंदिर समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर होते हैं, लेकिन नए नियम लागू होने के बाद अध्यक्ष पद का ढांचा बदलकर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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समिति का गठन होगा

43 साल पुराने मंदिर अधिनियम में बदलाव करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति लोगों से सुझाव भी मांगेगी। प्राप्त सुझावों की समीक्षा के बाद धार्मिक कार्य विभाग नए नियमों को लागू करेगा। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि सांदीपनि आश्रम समेत उज्जैन के सभी बड़े मंदिर इसी नियम के तहत संचालित होंगे। नए नियम में बदलाव को लेकर सहमति बन गई है। प्रशासनिक स्तर पर इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।
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क्या है महाकाल मंदिर अधिनियम, 1982?

महाकाल मंदिर अधिनियम, 1982 मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पारित एक कानून है, जिसका उद्देश्य उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के प्रबंधन और संचालन को सुचारू और पारदर्शी बनाना है। यह अधिनियम मंदिर की संपत्ति, आय और धार्मिक गतिविधियों के उचित प्रबंधन के लिए एक समिति के गठन का प्रावधान करता है। इस समिति में जिला कलेक्टर, पुजारी और अन्य अधिकारी शामिल होते हैं, जो मंदिर की व्यवस्था और भक्तों के लिए सुविधाओं को सुनिश्चित करते हैं। इस कानून का मुख्य उद्देश्य मंदिर की आय का उचित उपयोग करना, भक्तों के लिए सुविधाओं में सुधार करना और मंदिर परिसर को साफ और सुरक्षित रखना है।

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