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Bhilwara news राकेश जैन ने बनाए ई-दस्ताने, बुजुर्ग की करेगा मदद

अस्पताल या घर में कई बार बुजुर्ग परिजन या मरीज के देखभालकर्ता को यह समझ नहीं आता है कि मरीज़ को क्या चाहिए, क्योंकि बुजुर्ग व्यक्ति कभी-कभी इशारों से या आवाज में असंतुलन के कारण अपनी जरूरत को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। इसी समस्या का समाधान भीलवाड़ा के सुभाषनगर निवासी राकेश जैन (पाटनी) ने खोजने का दावा किया है।

भीलवाड़ाAug 13, 2024 / 01:00 pm

Narendra Kumar Verma

Rakesh Jain made e-gloves

Rakesh Jain made e-gloves

भीलवाड़ा। अस्पताल या घर में कई बार बुजुर्ग परिजन या मरीज के देखभालकर्ता को यह समझ नहीं आता है कि मरीज़ को क्या चाहिए, क्योंकि बुजुर्ग व्यक्ति कभी-कभी इशारों से या आवाज में असंतुलन के कारण अपनी जरूरत को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। इसी समस्या का समाधान भीलवाड़ा के सुभाषनगर निवासी राकेश जैन (पाटनी) ने खोजने का दावा किया है। राजस्थान पत्रिका को बताया कि उन्होंने ई-दस्ताने (स्वचालित सहायता दस्ताने ) बनाए है, जिसकी मदद से देखभालकर्ता, रोगी की मूक आवाज भी पहचान कर उसकी मदद कर सकेगा।
उपयोगी साबित होंगे

जैन ने यह बताया कि ई-दस्ताने घर, अस्पताल, कार्यालय और रेस्तरां में बहुत उपयोगी साबित होंगे। खास कर अस्पताल या घर में अगर कोई मरीज़ है जिसको कम्युनिकेटिव डिजीज (संक्रामक रोग) है तो, कोई भी उसके पास नहीं जाना चाहता है, उस समय ये दस्ताने बहुत ही उपयोगी रहेंगे। इस गैजेट की मदद से रोगी के बिना क्लोज कांटेक्ट के भी उसकी जरूरत को समझा जा सकता हैं।
50 मीटर डिस्टेंस तक दायरा

जैन ने पत्रिका को बताया कि गैजेट व प्रोजेक्ट में वायरलेस तरीके से सिग्नल भेजने और प्राप्त करने के लिए 433 मेगाहर्ट्ज टीएक्स-आरएक्स मॉड्यूल का उपयोग हैं और पूरा प्रोजेक्ट आर्डिनो- युनो, 433 मेगाहर्ट्ज आरएक्स-टीएक्स मॉड्यूल और 16. 2 एलसीडी के इंटरफेसिंग के माध्यम से काम करता है। 50 मीटर की डिस्टेंस तक ये गैजेट काम करेगा।
दस्ताने करेंगे काम

गैजेट- प्रोजेक्ट में दस्ताने पहनकर , जिस चीज़ की जरुरत हो उससे संबंधित प्रोग्राम की गई उंगली को अंगूठे से छूने या फिर एक विशेष स्विच दबाने से, स्वचालित रूप से 5 सैकंड के लिए घंटी बज जाएगी और घंटी बजने से दूसरे व्यक्ति को पता चल जाएगा कि मरीज़ को कुछ चाहिए और मरीज़ को जिस चीज की जरूरत होगी उसका नाम स्वचालित रूप से 10 सैकंड के लिए एलसीडी डिस्प्ले पर होगा।
जैन के नाम 31 कॉपीराइट

जैन अभी तक 31 कॉपीराइट (सरकारी अधिनियम 1957), 9 भारतीय डिज़ाइन पेटेंट पंजीकरण, 3 यूटिलिटी भारतीय पेटेंट हांसिल किए हैं। जैन ने इसका श्रेय पिता अनिल कुमार जैन, मां गुणमाला जैन एवं डॉ.एन.एस.राठौड को दिया हैं। उनका लक्ष्य जीवन में कोई ऐसा खोज करने का है जो मानवता के काम आ सके। जैन अभी उदयपुर के एक इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर है।

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