उपवन संरक्षक (उत्तर) अजय चित्तौड़ा की ओर से गत माह 28 अक्टूबर को ऑपरेशन के आधिकारिक रूप से समापन के आदेश जारी किए गए। इसमें कहा गया कि गोगुंदा में पैंथर के हमलों में ग्रामीणों की मौत के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय की ओर से पैंथर को रेस्क्यू करने व आवश्यक होने पर मारने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद 18 अक्टूबर को मदार के जंगल में पुलिस की गोली से एक पैंथर की मौत हो चुकी है। ऐसे में इस आदेश की निरंतरता समाप्त हो गई। इसके बाद से पैंथर के हमलों की घटनाओं पर भी विराम लग गया। इसे देखते हुए अब इस ऑपरेशन को समाप्त किया जाता है।
पैंथर के हमलों में इनकी मौतें
19 सितंबर – छाली पंचायत के उंडीथल गांव निवासी कमला (15) 19 सितंबर – छाली पंचायत के भेवड़िया निवासी खुमाराम गमेती (50) 20 सितंबर – उमरिया गांव निवासी हमेरी भील (50) 25 सितंबर – मजावद पंचायत के कुंडाऊ गांव की भील बस्ती में सूरज (6) 28 सितंबर – बगड़दा में गट्टू बाई (55) 29 सितंबर – राठौड़ों का गुढ़ा में पुजारी विष्णु गिरि (65)
01 अक्टूबर – केलवाें का खेड़ा में कमला कंवर (55) 16 अक्टूबर – मदार में मांगी बाई (75)
पिंजरे में फंसे पांच
23 19 सितंबर को छाली पंचायत के उमरिया में दो पैंथर पिंजरे में आए 27 सितंबर को मजावद के कुंडाऊ में एक पैंथर कैद हुआ28 सितंबर को छाली पंचायत में एक और पैंथर पिंजरे में आया 25 अक्टूबर भुताला में लगाए गए पिंजरे में पैंथर कैद हुआ
पैंथर मरे
11 अक्टूबर – सायरा तहसील के कमोल गांव में पैंथर ने देवाराम गमेती (55) पर हमला किया, तो ग्रामीणों ने घेरकर मार डाला 12 अक्टूबर – उंडीथल गांव पिंजरे में कैद हुए पैंथर की सज्जनगढ़ जैविक उद्यान के रेस्क्यू सेंटर में उपचार के दौरान मौत 18 अक्टूबर – मदार गांव में पुलिस टीम ने मांगी बाई पर हमले वाले स्थान के नजदीक की पैंथर को गोली मार दी
फैल हो गई थी सारी रणनीतियां
आदमखोर पैंथर के हमलों में जब एक के बाद एक लगातार ग्रामीणों की मौत हुई तो समूचा प्रशासन और सरकार तक हरकत में आ गई। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय सहित कई राज्य स्तरीय अधिकारी गोगूंदा में डेरा डालें रहे। अलग-अलग चरणों में सर्च ऑपरेशन चला। अलग-अलग रणनीतियां अपनाई गई। जिनमें अलग-अलग जगह से आए भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने कमान संभाली। लेकिन पैंथर का सुराग नहीं लगा। इस दौरान शुरुआत में जहां सेना की मदद ली गई। वहीं हैदराबाद से शूटर बुलवाया गया। रणथंभोर और गुजरात से ट्रेकर टीमें बुलवाई। 13 टीमों में करीब सौ से अधिक वनकर्मियों, पुलिसकर्मियों एवं स्थानीय ग्रामीणों ने सर्च ऑपरेशन में काम किया। तमाम कोशिशों के बाद जब आदमखोर पैंथर हाथ नहीं आया तो 13 अक्टूबर के बाद धीरे-धीरे जाप्ता कम करना शुरू किया। इसी बीच पैंथर अपनी जगह बदल कर बड़गांव उपखंड के मदार तालाब की पहाड़ी पर पहुंच गया, जहां खेत 16 अक्टूबर को खेत पर काम कर रही दो महिलाओं पर हमला कर दिया। जिनमें एक की मौत हो गई। इस इलाके में वन विभाग ने नए सिरे से ऑपरेशन शुरू किया और 18 अक्टूबर को पुलिस टीम ने पैंथर को मार गिराया।