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सात माह के बच्चे के पेट में मिला जीवित भ्रूण, लोग हैरान, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

Fetus in child’s stomach:उत्तराखंड में सात माह के एक बच्चे के पेट में जीवित भ्रूण मिलने से परिजन और डॉक्टर हैरान हैं। बच्चे का पेट लगातार बढ़ने पर ये मामला उजागर हो पाया। डॉक्टरों की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद ऑपरेशन कर बच्चे को नया जीवन दिया है।

लखनऊAug 20, 2024 / 06:57 pm

Naveen Bhatt

उत्तराखंड में डॉक्टरों ने सात माह के बच्चे का ऑपरेशन कर उसके पेट में मौजूद भ्रूण बाहर निकाला

Fetus in child’s stomach:उत्तराखंड के देहरादून में ये हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दून में सात माह के बच्चे के पेट में भ्रूण मिला है। बच्चे के लगातार बढ़ रहे पेट को देख परिजन हैरत में पड़े हुए थे। जब उन्होंने डॉक्टरों को दिखाया तो बच्चे के पेट में भ्रूण होने की बात सामने सामने आने से वह हैरत में पड़ गए थे। जानकारी के मुताबिक एक बच्चा केवल सात माह का है। उसका पेट लगातार बढ़ता देख परिजन चिंतित होने लगे। शुरू में उसने इसे नजरअंदाज किया। पर जब पेट निरंतर बढ़ता ही गया तो उसे चिंता हुई। कई जगह चिकित्सकों को दिखाने के बाद भी बच्चे को आराम नहीं मिला। उसके बाद परिजन बच्चे को हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट ले गए तो रिपोर्ट देख चौंक गए।

पेट में गांठ होने का हुआ शक

बच्चे की मां और परिजनों ने हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट में वरिष्ठ बाल शल्य-चिकित्सक डॉ.संतोष सिंह से संपर्क किया। बच्चे की प्राथमिक जांच मे उन्हें पेट मे किसी असामान्य गांठ होने का शक हुआ। जब एक्सरे किया गया तो बच्चे के पेट मे पल रहे एक मानव-भ्रूण होने का पता चला तो परिजन और डॉक्टर हैरत में पड़ गए।

फीटस-इन-फीटू का मामला

्डॉर.संतोष सिंह के मुताबिक इसे मेडिकल भाषा मे फीटस-इन-फीटू कहते हैं। जिसके बाद बच्चे के ऑपरेशन की योजना बनाई गई। पिछले सप्ताह बच्चे का सफल ऑपरेशन किया गया। उसके पेट से भ्रूण को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया है। ऑपरेशन के चार दिन बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चे को घर भेज दिया गया। डॉ.संतोष सिंह ने बताया कि फीटस-इन-फीटू मानव भ्रूण-विकास की एक अत्यंत असामान्य घटना है। इसमें भ्रूण विकास के समय किसी अज्ञात वजह से एक भ्रूण दूसरे के अंदर विकसित होने लगता है, बिल्कुल एक परजीवी की तरह। अल्ट्रासाउंड से इसका पता मां के गर्भ में ही लगाया जा सकता है, हालांकि अधिकतर मामलों मे इसका पता जन्म के बाद ही चलता है।

पांच लाख में एक केस ऐसा

चिकित्सकों के मुताबिक फीटस-इन-फीटू जैसे केस करीब पांच लाख में से भी अधिक गर्भावस्थाओं में किसी एक को हो सकता है। आमतौर पर ये एक से दो वर्ष तक की आयु मे शिशु के पेट के असामान्य तरीके से बढ़ने के कारण ही संज्ञान में आता है। बच्चे के जन्म के समय ये मामला पकड़ में नहीं आता है। ऐसे मामलो में बाद में बच्चों का पेट बढ़ने लगता है।

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