बांसवाड़ा के सिर्फ एक सरकारी अस्पताल में व्यवस्था पशु चिकित्सक बताते हैं कि सांड और बकरों के बधियाकरण के लिए कास्टेटर मशीन होती है। इनकी बधियाकरण प्रक्रिया भी सहज है, जो कहीं पर भी हो सकती है। लेकिन कुत्तों और बिल्लियों में ऐसा नहीं है।
इनका ऑपरेशन करना पड़ता है। इनके ऑपरेशन की व्यवस्था पूरे बांसवाड़ा जिले में सिर्फ जिला अस्पताल यानी पॉलीक्लीनिक में है।
जन्म से 90 दिनों के बीच 93 फीसदी की मौत वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ . पंकज पांडेय बताते हैं कि कुत्तों के बच्चों का डेथ रेसियो काफी ज्यादा है। सामान्यतौर पर इनके अधिकतम सात फीसदी तक ही बच्चे जीवित रह पाते हैं। विभिन्न कारणों से जन्म से 60 दिनों के बीच इनकी मौत हो जाती है। कई बार तो सभी बच्चों की मौत हो जाती है। लेकिन अब लाइफ रेसिओ बढ़ता दिख रहा है। ऐसा भी देखा गया है कि गली मोहल्लों में लोग इनकी केयर करते, इन्हें खाद्य सामग्री मुहैया करा देते हैं। इसके कारण इनकी जान सुरक्षित बच जाती है। अन्यथा बच्चों की अधिक संख्या के कारण फिमेल डॉग बच्चों की दूध की भरपाई नहीं कर पाती और कई बच्चे भूख से मर जाते हैं।
एक बार में 7 बच्चों को जन्म देती है फिमेल डॉग डॉ . पांडेय बताते हैं कि फिमेल डॉग का गर्भाधारण काल 60 से 70 दिनों का होता है। ये सामान्यतौर पर 4-10 बच्चों को जन्म देती है, लेकिन औसतन 7 बच्चों का माना जाता है। लेकिन विपरीत परिस्थितियों के कारण इन सात बच्चों में सिर्फ एक बच्चा ही जीवित रह पाता है। क्यों कि स्ट्रीट डॉग के बच्चों में प्रॉपर वैक्सीनेशन नहीं हो पाता और इनमें बीमारियां जल्दी लग जाती है। लेकिन जन्म से 90 दिन गुजर जाने के कारण ये सरवाइव कर जाते हैं।
कुत्तों की बच्चों की मौत के अहम कारण – दूध न मिल पाने के कारण मौत – कम उम्र मेें बीमारी से ग्रसित – सड़क दुर्घटनाएं इत्यादि इन्हें इतनी ऑपरेशन पोस्ट केयर की जरूरत
– कुत्ता : 7-10 दिन – बिल्ली : 7-10 दिन – घोड़ा : 5 – 10 दिन (पशु चिकित्सकों के अनुसार) पॉलीक्लीनिक में ही नसबंदी की व्यवस्था कुत्तों के नसबंदी ऑपरेशन के द्वारा की जाती है। जिसकी व्यवस्था पॉलीक्लीनिक में ही है। जिले में अन्य कहीं नहीं है। हमारे पास नसबंदी की पूर्ण व्यवस्था है। यदि कुत्ते हमारे पास लाए जाते हैं तो हम पूरी प्रक्रिया के साथ नसबंदी करते हैं। जिसके बाद प्रोटोकॉल के अनुरूप उन्हें पोस्ट ऑपरेटिव केयर भी दी जाती है। – डॉ . विजय सिंह भाटी, उपनिदेशक, पशु पालन विभाग, बांसवाड़ा
होली के समय पांच कुत्तों की गई थी नसबंदी होली के दौरान नसबंदी के लिए पांच कुत्ते लाए गए थे। ऑपरेशन के बाद और पहले इनकी देखरेख की काफी जरूरत होती है। किसी प्रकार के इंफेक्शन, टांके खुलने सरीखी कई सावधानियां रखनी पड़ती हैं।
डॉ. राजेश नावाडे, उपनिदेशक, बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय बांसवाड़ा यहां रहें सावधान – दाहोद नाका – कस्टम के पास – पुराना बस स्टैंड के पास – नगर परिषद कार्यालय के पास
– चांदपोल गेट -पाला पुल – नई आबादी – आजाद चौक – रोडवेज बस स्टैंड एवं अन्य