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नई दिल्ली

पदोन्नति के लिए उपराष्ट्रपति बन गए सरकार के प्रवक्ता: मल्लिकार्जुन खरगे

– सभापति सदन में हेडमास्टर की तरह देते हैं प्रवचन
-धनखड़ के खिलाफ इंडिया ब्लॉक के दल एक साथ मंच पर आए
-राज्यसभा में हंगामा जारी
-रिजिजू बोले: अगर आसन को इज्जत नहीं दे सकते हैं तो सांसद होने का अधिकार नहीं

नई दिल्लीDec 12, 2024 / 10:23 am

Shadab Ahmed

नई दिल्ली. राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लेकर सरकार और विपक्षी इंडिया ब्लॉक में ठन गई है। जहां इंडिया ब्लॉक के सभी दल एक साथ मंच पर आए और साझा पत्रकार वार्ता की। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सीधे तौर पर कहा कि सभापति का रवैया पक्षपातपूर्ण और विपक्ष को अपमान करने वाला रहता है। वे हेडमास्टर के लिए प्रवचन देते रहते हैं। उधर, राज्यसभा में बुधवार को भारी हंगामा हुआ। जहां संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर हमला बोला और कहा कि विपक्षी सांसद सीधे तौर पर सभापति और आसन का अपमान कर रहे है। उन्होंने कहा कि अगर आसन को इज्जत नहीं दे सकते हैं तो फिर सांसद होने का अधिकार नहीं है।
इंडिया ब्लॉक के दलों के नेताओं ने कांस्टीट्यूशन क्लब में साझा पत्रकार वार्ता की। इसमें खरगे ने कहा कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का व्यवहार सदन में विपक्षी सदस्यों को अपमानित करने वाला और सरकार के एजेंडे के हिसाब से काम करने वाला है। विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा है, जिसकी वजह से गठबंधन के नेताओं ने विवश होकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं। खरगे ने कहा कि सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति ज्यादा होती है और वह अपनी पदोन्नति पाने के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। सभापति विपक्ष के किसी भी नए या पुराने नेता को अपमानित करने में संकोच नहीं करते हैं।
 सभापति खुद सदन के लिए बाधक बनते हैं और निष्पक्ष होकर सदन चलाने की बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान करते हैं। विपक्षी सदस्यों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं और नियम से सदन चलाने की बजाय राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि 1952 के बाद से उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है। इस पद पर बैठा व्यक्ति हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे रहा है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस पद की गरिमा का उल्लेख करते हुए कहा था कि वह सभापति हैं और किसी पार्टी के नहीं हैं। सदन हमेशा नियमों के अनुसार चलाया जाना चाहिए और सभापति को सरकार के प्रवक्ता की तरह काम नही करना चाहिए।

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