ज्वालामुखियों की गैसों से मिली जानकारी शोधकर्ताओं को ज्वालामुखियों से निकलने वाली गैसों से चट्टानी ग्रह शुक्र के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी मिली। जब लावा ग्रह के केंद्र से सतह तक पहुंचता है तो गहराई से गैसें बाहर निकलती हैं। पृथ्वी पर ज्वालामुखी गैसों में 60 फीसदी से ज्यादा पानी होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि शुक्र पर ज्वालामुखी गैसों में छह फीसदी से भी कम पानी है। यह इसके अंदरूनी हिस्से के सूखे होने का संकेत देता है।
दोनों ग्रहों की विकास प्रक्रिया पूरी तरह अलग शुक्र का व्यास करीब 12,000 किमी, जबकि पृथ्वी का 12,750 किमी है। शोधकर्ताओं ने कहा, दोनों ग्रहों का द्रव्यमान, आकार और घनत्व एक जैसा है, लेकिन उनकी विकास प्रक्रिया पूरी तरह अलग रही। शुक्र का वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के मुकाबले 90 गुना ज्यादा है। इसका वायुमंडल जहरीला है। इसमें सल्फ्यूरिक एसिड के बादल हैं। ऐसे वायुमंडल में जीवन नहीं पनप सकता।