नई दिल्ली

शुक्र ग्रह शुरू से ही बंजर, वहां कभी नहीं पनपा होगा जीवन

अंतरिक्ष एक पहेली : आकार और संरचना में समानता के बावजूद पृथ्वी से काफी अलग

नई दिल्लीDec 04, 2024 / 02:18 am

ANUJ SHARMA

लंदन. पृथ्वी के सबसे नजदीकी ग्रह शुक्र को आकार और चट्टानी संरचना के कारण पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है। अब तक माना जाता था कि वहां का वायुमंडल भी संभवत: पृथ्वी से मिलता-जुलता होगा। एक नए शोध में इस धारणा को सिरे से खारिज करते हुए कहा गया कि शुक्र अपनी शुरुआती अवस्था से ही बंजर है। वह कभी रहने योग्य नहीं था। शोध में इस परिकल्पना को भी खारिज किया गया कि शुक्र की सतह के नीचे पानी का विशाल भंडार हो सकता है।नेचर एस्ट्रोनॉमी में छपे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक पृथ्वी का 71 फीसदी हिस्सा पानी से ढका है। इसके मुकाबले शुक्र का अंदरूनी हिस्सा बेहद सूखा है। शुरुआती अवस्था में, जब इसकी सतह पिघले लावे से बनी थी, तब भी यह पूरी तरह सूखा था। जीवन के लिए पानी जरूरी है। शोध के दौरान शुक्र पर पानी के भंडार होने के कोई संकेत नहीं मिले। शोधकर्ताओं में शामिल टेरेसा कॉन्स्टेंटिनू ने कहा, शुक्र पर कभी जीवन का नामो-निशान नहीं था।
ज्वालामुखियों की गैसों से मिली जानकारी

शोधकर्ताओं को ज्वालामुखियों से निकलने वाली गैसों से चट्टानी ग्रह शुक्र के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी मिली। जब लावा ग्रह के केंद्र से सतह तक पहुंचता है तो गहराई से गैसें बाहर निकलती हैं। पृथ्वी पर ज्वालामुखी गैसों में 60 फीसदी से ज्यादा पानी होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि शुक्र पर ज्वालामुखी गैसों में छह फीसदी से भी कम पानी है। यह इसके अंदरूनी हिस्से के सूखे होने का संकेत देता है।
दोनों ग्रहों की विकास प्रक्रिया पूरी तरह अलग

शुक्र का व्यास करीब 12,000 किमी, जबकि पृथ्वी का 12,750 किमी है। शोधकर्ताओं ने कहा, दोनों ग्रहों का द्रव्यमान, आकार और घनत्व एक जैसा है, लेकिन उनकी विकास प्रक्रिया पूरी तरह अलग रही। शुक्र का वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के मुकाबले 90 गुना ज्यादा है। इसका वायुमंडल जहरीला है। इसमें सल्फ्यूरिक एसिड के बादल हैं। ऐसे वायुमंडल में जीवन नहीं पनप सकता।

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